हमीरपुर ,
डॉ. राधाकृष्णन राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल हमीरपुर की स्टाफ नर्स मोनिका की आत्महत्या मामले में जाँच के घेरे में चल रही संस्थान की एक सीनियर वार्ड सिस्टर मनोरमा पटियाल को हाई कोर्ट ने सशर्त स्थायी अग्रिम जमानत प्रदान कर बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने अपने 16 अक्तूबर को पारित अग्रिम अंतरिम ज़मानत के ऑर्डर को अब 4 नवंबर को सशर्त स्थायी अग्रिम ज़मानत के रूप में पारित कर दिया है। यह अग्रिम सशर्त ज़मानत प्रार्थी मनोरमा पटियाल को हमीरपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफ़आईआर 200/2019 में दर्ज सेक्शन 306 व एससी/ एसटी एक्ट में गिरफ़्तारी से बचाएगी । सशर्त अग्रिम ज़मानत के 4 नवम्बर को पारित हाई कोर्ट के आदेशों में स्पष्ट लिखा गया है कि उसे पुलिस जाँच में शामिल होना पड़ेगा तथा वह केस से जुड़े किसी गवाह या तथ्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगी । पुलिस भी उसे सुबह 9 बजे व शाम 5 बजे के बाद पूछताछ के लिए नहीं बुला सकेगी। इससे पहले सीनियर वार्ड सिस्टर ने सैशन कोर्ट हमीरपुर में अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी लगाई थी लेकिन पुलिस द्वारा सैशन कोर्ट में पेश स्टेटस रिपोर्ट में एफ़आईआर 200/19 में आईपीसी की धारा 306 के अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत भी सेक्शन जुड़ने से अग्रिम ज़मानत याचिका वापिस ले ली गयी थी। इसके बाद 16 अक्तूबर को मनोरमा पटियाल को हाईकोर्ट ने अंतरिम अग्रिम ज़मानत दे दी थी। बाद में चार नवम्बर को प्रार्थी को हाईकोर्ट द्वारा स्थायी सशर्त अग्रिम ज़मानत मिलने से बड़ी राहत मिल गयी है।
आपको बता दें कि 3 अक्तूबर वीरवार को मेडिकल कॉलेज की स्टाफ नर्स मोनिका अस्पताल में ड्यूटी के बाद बारल गांव स्थित अपने किराये के कमरे में पहुंची और पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली। मोनिका ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उसने अस्पताल के सीनियर स्टाफ पर प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। पुलिस इस मामले में दो दर्जन से अधिक सहयोगी स्टाफ नर्सों और वार्ड सिस्टर से पूछताछ कर चुकी है।
यह है सारा मामला
गांव पलासी डाकघर कश्मीर, उपमंडल नादौन जिला हमीरपुर की रहने वाली 32 वर्षीय मोनिका हमीरपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में स्टाफ नर्स के पद पर सेवाएं दे रही थीं। ड्यूटी खत्म होने के बाद मोनिका अपने कमरे में पहुंची और पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले उसने एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उसने अस्पताल की सीनियर वार्ड सिस्टर पर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाते हुए अपनी मौत के लिए जिम्मेवार ठहराया। हालाँकि सुसाईड नोट में मोनिका ने किसी विशेष व्यक्ति का नाम नहीं लिखा था लेकिन शक के दायरे में पुलिस मनोरमा पटियाल से लगातार गहन पूछताछ करती रही।इस बीच वह अस्पताल से लम्बी छुट्टी भी चली गयी। अब हाई कोर्ट से मिली राहत से उस पर गिरफ़्तारी की लटक रही तलवार थम गयी है।