जिला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता में पहुंची 30 टीमें
कुल्लू,
भाषा एवं संस्कृति विभाग के तत्वावधान में कुल्लू के लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में जिला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता का शानदार आयोजन हुआ। इस जिला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता में जिलाभर की 30 टीमें भाग लेने पहुंची। इस आयोजन से वाद्ययंत्रों की धुन पर देवभूमि थिरक उठी और पुरातन गीतों की स्वरलहरियों में माहौल सराबोर हुआ। कुल्वी वेशभूषा में यहां पहुंचे लोकनृत्य दलों ने एक छत के नीचे जिला भर की लोक संस्कृति का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर ने कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग कला संस्कृति व साहित्य के क्षेत्र में जीवन लगाने बाले साथियों के लिए मंच प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि विभाग लोक संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन में अनेक कार्यक्रम कर रही है। उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में शनिवार को कुल्लू में जिला स्तरीय लोकनृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में जिलाभर की 30 टीमों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता में प्रथम आने बाली टीम राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेगी। उन्होंने कहा कि पारिश्रमिक के अलावा प्रथम आने बाली टीम को प्राइज मनी के रूप में 25000 द्वितीय रहने बाली टीम को 20000 व तृतीय स्थान पर आने बाली टीम को 15000 रुपए का इनाम दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जिला कुल्लू में लोक संस्कृति आज भी जिंदा है और यहां के जर्रे-जर्रे में संस्कृति वास करती है। यहां के हर क्षेत्र में लोग खुशी के मौके पर अपना स्थानीय लोक नृत्य करते हैं और पुरातन गीत व संगीत को भी यहां के लोगों ने संजोकर रखा है। यही कारण है कि आज कुल्वी नाटी देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ चुकी है। गीत व नृत्यों के साथ यहां के वाद्ययंत्रों की धुन भी मधुर है। उन्होंने कहा कि यहां के कण-कण में लोकगीत व लोक नृत्य बसता है। यही कारण है कि सरकारी तौर पर होने बाले ऐसे आयोजनों के लिए यहां के कला संस्कृति से जुड़े लोग कलायत रहते हैं। उन्होंने कहा कि यहां की कला संस्कृति को बचाने व बचाए रखने में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का भी भरपूर योगदान है। उन्होंने कहा कि कुल्वी नृत्य एवं नाटी में महिला पुरुष बराबर की भागीदारी निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग भी कला संस्कृति से जुड़े लोगों के साथ हमेशा खड़ा है।