Saturday, April 20, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
सुखराम चौधरी का संजय अवस्थी और अनिरुद्ध सिंह पर पलटवारज़िला निर्वाचन अधिकारी ने नियंत्रण कक्ष का निरीक्षण कियास्वीप के अंतर्गत भरमौर विधानसभा क्षेत्र में  कुवारसीं, बजोल, बडेई और  दाडवी में मतदाता जागरूकता अभियान आयोजितएसडीएम अर्की ने कम मतदान प्रतिशत वाले मतदान केंद्र में चलाया विशेष जागरूकता अभियानवर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सभी वर्ग दुखी : कश्यपगोंदपुर बुल्ला और भडियारां में मतदान प्रतिशतता बढ़ाने को लेकर ग्रामीण किए जागरूकगोंदपुर बुल्ला और भडियारां में मतदान प्रतिशतता बढ़ाने को लेकर ग्रामीण किए जागरूकउपायुक्त का 'नशा मुक्त ऊना' बनाने के लिए सभी के समन्वित प्रयासों पर बल
-
धर्म संस्कृति

जीवन शैली : लाखों की संपत्ति साथ लेकर फ़क़ीरों जैसा जीवन जीते हैं घूमंतु गद्दी समुदाय के लोग

-
रजनीश शर्मा 9882751006) | January 07, 2020 06:29 PM

हमीरपर ,
बेशक भेड़, बकरियों घोड़ों व कुत्तों की लाखों की संपत्ति गद्दी मित्र साथ लेकर घूमते हैं लेकिन जीवन उनका फ़क़ीरों से कम नहीं होता।हिमाचल के ऊपरी क्षेत्र में इन दिनों भारी बर्फ़बारी होने के कारण गद्दी समुदाय अपनी भेड़ बकरियों के साथ हमीरपुर, काँगड़ा, बिलासपुर और ऊना के कम ऊँचाई वाले क्षेत्रों में डेरा डाले हुए हैं। बारिश के बावजूद वे भेड़ बकरियों के बीच ख़ुश हैं।

धौलाधार रेंज रहा है मूल स्थान

गद्दी जनजाति भारत की सांस्कृतिक रूप से सबसे समृद्ध जनजातियों में से एक है। पशुपालन करने वाले ये लोग वर्तमान में धौलाधर श्रेणी के निचले भागों, खासकर हिमाचल प्रदेश के चम्बा और कांगड़ा ज़िलों में बसे हुए हैं। शुरू में वे ऊंचे पर्वतीय भागों में बसे रहे, मगर बाद में धीरे-धीरे धौलाधार की निचली धारों, घाटियों और समतल हिस्सों में भी उन्होंने ठिकाने बनाए। गद्दी आज पालमपुर और धर्मशाला समेत कई कस्बों में भी अपने परिवारों के साथ रहते हैं। गर्मियों में ये अपनी भेड़-बकरियों के साथ पहाड़ों पर विचरण करते हैं और सर्दियों में वे मैदानी इलाकों में इधर-उधर घूमते हैं।

कड़ी मेहनत से कमाकर आगे बढ़ने का रहा है इतिहास

गद्दी जनजातियों का मुख्य व्यवसाय भेड़-बकरी पालन है और वे अपनी आजीविका के लिए भेड़, बकरी, खच्चरों और घोड़ों को भी बेचते हैं। यह जनजाति पुराने दिनों में घुमंतू थी लेकिन बाद में उन्होंने पहाड़ों के ऊपरी भाग में अपने ठिकाने बनाना शुरू कर दिया।

मुश्किल से मुश्किल इलाकों में आसानी से रह लेते हैं मेहनती गद्दी

वे गर्मी के मौसम के दौरान चराई के लिए अपने पशुओं को लेकर ऊपरी पहाड़ियों में चढ़ाई करते हैं और सर्दियों में नीचे उतर आते हैं। वे अपनी भेड़-बकरियों की सुरक्षा के लिए कुत्ते भी पालते हैं जो भेड़-बकरियों को खदेड़कर एक जगह पर इकठ्ठा करने में पारंगत होते हैं। वे तेंदुओं तक से भिड़ जाते हैं। अब गद्दी समुदाय के लोगों ने भी अपनी आजीविका कमाने के लिए कई अन्य व्यवसायों को अपनाना शुरू कर दिया है। कुछ लोग मेहनत वाले काम करके भी आजीविका चलाते हैं तो अब सरकारी नौकरियों समेत विभिन्न क्षेत्रों अच्छे पदों पर आसीन हैं।

संस्कृति से जड़ से जुड़े हैं गद्दी

शायद ही हिमाचल प्रदेश में ऐसी कोई जनजाति अब बची हो जो गद्दियों की तरह जड़ से अपनी संस्कृति से जुड़ी हुई हो। पहनावे से लेकर खानपान हो या धर्म-कर्म, सब में गद्दी लोग आज भी अपने इतिहास से जुड़े हुए हैं। गद्दी भेड़ की ऊन और बकरी के बाल से बना ऊनी पाजामा (पतलून), लंबे कोट, ढोरु (ऊनी साड़ी), टोपी और जूते पहनते हैं। वे भेड़ की ऊन का प्रयोग शॉल, कंबल और कालीन बनाने में करते हैं।

सरकार प्रदान कर सुविधाएँ

सरकार की तरफ़ से गद्दी समुदाय को विशेष सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। इन सुविधाओं से धीरे धीरे इनकी जीवन शैली में भी बदलाव आना शुरू हो गया है। आज घर से सैंकड़ों किलोमीटर दूर जंगल में भेड़ बकरियों सहित बैठा गद्दी मोबाईल फ़ोन पर संबंधियों के संपर्क में रहता है लेकिन कुछ वर्ष पूर्व ऐसा नहीं था। भोला, ईमानदार, सीधा व सादा जीवन व्यतीत करने वाले घूमंतु गद्दी समुदाय के लोग सच में सांस्कृतिक विरासत को आज भी सम्भाले हुए हैं।

 

 

 

 

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और धर्म संस्कृति खबरें
आनी  में  अष्टमी पर बंटा घी  का हलवा निरमंड के बागा सराहान का ऐतिहासिक झीरू मेला पर्व प्राचीन रीति रिवाज के साथ सम्पन्न  छ्ठे नवरात्रे पर बाड़ी मन्दिर में खूब लगे माँ के जयकारे माँ भगवती जन जागरण सेवा समिति 16 को उटपुर में करवाएगी जगराता होलिका दहन का महत्व: डॉ० विनोद नाथ चिंतपूर्णी में चैत्र नवरात्र मेला 9 से 17 अप्रैल तक बाबा भूतनाथ को दिया शिवरात्रि मेले का न्योता बुधबार् को देहुरी में होगा भव्य देव मिलन जय दुर्गा माता युवक मंडल चखाणा ने  श्रीराम मन्दिर प्राण प्राण प्रतिष्ठा पर आयोजित किया कार्यक्रम  चारों दिशाओं में सिर्फ राम नाम गुंजा और हर जनमानस राम में हो गया : विनोद ठाकुर
-
-
Total Visitor : 1,64,53,039
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy