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पोल खोल

पोल खोल :कोरोना से कैसे बचेगा किंगल

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हितेंद्र शर्मा | March 20, 2020 12:07 PM

कुमारसैन,

दुनिया भर में कोरोना वायरस को लेकर खौफ का माहौल बना है। लेकिन शिमला जिला के कुमारसैन उपमंडल के अंतर्गत राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर स्थित किंगल गांव में खुलेआम गंदगी फैलाने एंव वातावरण को प्रदूषित करने वालों को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दंडित करने की जगह संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। लाखों-करोड़ों के मालिक, उच्चे रसूख वाले सेवानिवृत अधिकारियों के व्यवसायिक भवनों से सरेआम दूषित अपशिष्ट जल को निरन्तर सड़कों पर बहाया जा रहा है। लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते जानबूझकर कर इस मामले की अनदेखी की जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गतवर्ष खण्ड विकास अधिकारी नारकंडा से मौके की रिपोर्ट भी तलब की थी लेकिन वातावरण प्रदूषण के इस गंभीर मामले में लीपापोती कर लापरवाही बरती जा रही है। स्थानीय ग्राम पंचायत जार द्वारा पचास मीटर दूर जुर्माने के प्रावधानों का एक चेतावनी बोर्ड लगा कर मामले से पल्ला झाड़ लिया गया है। राष्ट्रीय उच्च मार्ग-05 द्वारा भी सड़क पर अपशिष्ट जल खुलेआम निरन्तर बहाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की जगह अपने कर्मचारियों द्वारा सफाई करवाकर इन लघु उद्योगों के मालिकों को खुश किया जा रहा है, कूड़ा-गंदगी और अपशिष्ट जल को सडक के एक छोर से उठाकर दूसरे छोर पर पर ढेर लगाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय उच्च मार्ग-05 द्वारा जेसीबी मशीन से रोज नए-नए अस्थायी गढ्ढे बनाकर राजनैतिक आकाओं को ख़ुश किया जा रहा है जोकि बेहद शर्मनाक है।

 

वास्तव में स्थानीय विधायक कामरेड राकेश सिंघा और उनके समर्थकों की बैठकें किंगल में इन रसूखदार लोगों के घरों में निरन्तर होती हैं, जिस कारण वातावरण प्रदूषित करने और आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले इन लोगों के हौंसले बुलंद हैं। उल्लेखनीय है कि किंगल के इस मोहल्ले में बेकरी, फर्नीचर, दूध प्रोसेसिंग प्लांट जैसे अनेकों लघु उद्योग स्थापित है। यहां स्थापित व्यवसायिक मकानों में किराये पर रहने वाले प्रवासियों की गंदगी एंव लघु उद्योगों का दूषित अपशिष्ट जल निरन्तर राष्ट्रीय उच्च मार्ग-05 पर बहाया जा रहा है। जिससे आसपास के घरों में रहने और यहां चलने-फिरने वाले लोगों को सांस तक लेना भी दुश्वार हो गया है। कोरोना से पहले ही जल-जनित रोगों एंव दूषित हवाओं तथा कूड़े के ढेरों से आस-पड़ोस के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।   

 

घटिया राजनीति, अंहकार और दुर्भावना के चलते दूषित अपशिष्ट जल को जानबूझकर राष्ट्रीय उच्च मार्ग-05 के नीचे से कलबट बनाकर खुलेआम इस गंदगी एंव अपशिष्ट जल को स्थानीय केन्द्र प्राथमिक पाठशाला होते हुए किंगल-लवाण कुल्ह (नहर) में बहाने के लिए राजनैतिक दवाब बनाया जा रहा है, जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जिससे आसपास के घरों के लोगों स्थानीय प्राथमिक पाठशाला के बच्चों, अध्यापकों और कर्मचारियों सहित मतदान केंद्र में जुटने वाले लोगों के स्वास्थ्य से साथ खिलवाड़ होगा। किंगल-लवाण कुल्ह का पानी स्थानीय लोगों द्वारा कृषि के साथ-साथ पीने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। गंदगी के कारण वर्तमान में कोरोना जैसी भयानक महामारी का फैलना स्वभाविक है।

 

सेपटिक टैंक बनाकर घरेलू एंव व्यवसायिक अपशिष्ट जल का निपटारा करने की वर्तमान समय में सख्त  आवश्यकता है। गंदगी एंव अपशिष्ट जल को लाखों की लागत से कलबट बनाकर मात्र दस-बीस फीट आगे धकेलकर अन्य घरों, स्कूल और कुल्ह को दूषित करना क्या सता का सरासर दुरुपयोग नहीं है? प्रशासन और सरकार यदि समय रहते न्यायोचित एंव आवश्यक कार्यवाही नहीं करती तो ऐसी परिस्थिति में आम जनता के पास प्रदूषण एंव प्रताड़ना सहने के साथ बीमारियों से जूझते हुए मौत का विकल्प ही शेष बच जाएगा और इसकी जिम्मेवारी भी प्रशासन और सरकार की होनी चाहिए। स्थानीय विधायक महोदय अपने समर्थकों को खुश करने के लिए प्रशासन पर दवाब बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते है। क्या सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों में जन्म लेना अभिशाप है? अनुसूचित जाति अधिनियम कानून के दुरुपयोग से घबरा कर सामान्य वर्ग का व्यक्ति आज अपने अधिकारों तथा स्वास्थ्य की रक्षा के लिए संघर्ष करना तो दूर आवाज़ उठाने से भी डरता है। आखिर उच्चे रसूखदार सेवानिवृत अधिकारियों एंव व्यवसायियों के घरों से चलने वाली इस राजनीति में आम आदमी कब तक मानसिक एंव शारीरिक प्रताड़ना और खौफ़ झेल सकता है?

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