शिमला,
SFI हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रदेश विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों की भर्ती से सम्बंधित आवेदनों के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की गई भारी भरकम फीस बढ़ोतरी का विरोध किया ।
SFI राज्य सचिव अमित ठाकुर ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन भर्तियों को भी कमाई का साधन बनाया है। एक ओर तो ये सरकार और प्रशासन बेतहाशा फीस बढ़ाकर लाखो इच्छुक छात्रों को शिक्षा से महरूम कर चुके है, दूसरी ओर जो कुछ पढ़ पाए है उन्हें आवेदनों में भारी भरकम फीस बढ़ोतरी कर इस प्रतियोगिता से ही बाहर करना चाहते है। जहाँ संविधान के मौलिक अधिकारो में अवसर की समानता की बात की गई है प्रदेश विश्वविद्यालय के इस फैसले से वह अवसर की समानता कुछ चन्द लोगो तक ही सीमित रहने वाली है जो इस भारी आवेदन फीस को अदा कर पाएंगे।
SFI का मानना है यदि विश्वविद्यालय प्रशासन इन भर्तियों से सम्बंधित परीक्षाओं को कराने में असमर्थ है तो उसे प्रदेश में दूसरी प्रतियोगी परीक्षाएं कराने वाली संस्थाओं जैसे HPSC है उन्हें सौंपा जाए, इस तरह हर साल फीस बढ़ोतरी के सहारे भर्तियां करना गरीब वर्ग से सम्बंधित छात्रों के साथ सरासर अन्याय है।
अगर हम फीस की बात करें तो मांगे गए आवेदनों के अनुसार B CLASS में सामान्य वर्ग के लिए 2000 रुपये व आरक्षित वर्ग के लिए 1000 रुपये है वहीं दूसरी तरफ C&D CLASS के लिए सामान्य वर्ग में 1000 रुपये व आरक्षित वर्ग के लिए 600 रुपये फीस प्रशासन द्वारा रखी गयी है।
सरकार के एक फैसले अनुसार प्रतियोगी परीक्षाओं में महिलाओं की भागेदारी अधिक बढ़ाने के लिए महिलाओं से शुल्क नही लिया जाएगा। और उस फैसले के बाद HPSC और UPSC की तरफ से आयोजित परीक्षाओं में महिलाओं से कोई शुल्क लिया भी नही जाता है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इस आवेदन प्रक्रिया के दौरान सरकार के फैसले को दरकिनार कर महिलाओ के लिये भी समान शुल्क रखना इस बात को जाहिर करता है कि विश्विद्यालय प्रशासन व सरकार के बीच बड़े पैमाने पर तालमेल की कमी तो है ही लेकिन विश्वविद्यालय स्तर पर प्रशासनिक समझ का भी अभाव है। इसीलए प्रदेश सरकार व शिक्षा मंत्री के आदेशों को नजरअंदाज किया जा रहा है
वही दूसरी ओर यदि यह सारा घटनाक्रम सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है तो यह प्रदेश की जनता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
SFI विश्विद्यालय प्रशासन के द्वारा विश्वविद्यालय को केवल शिक्षकों व गैर शिक्षकों के लिए खोलने के फैसले का भी कड़ा विरोध करती है। क्योंकि हम जानते है अभी तक शैक्षणिक संस्थानों से सम्बंधित राष्ट्रीय लॉकडॉन जारी है।केंद्र सरकार व UGC के आदेशानुसार राज्य व विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रो,शिक्षकों व अभिभावकों से संवाद के बाद ही शैक्षणिक संस्थानों को खोलने पर फैसला ले सकते है । लेकिन हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा छात्रो को छोड़कर केवल शिक्षकों व गैर शिक्षकों के लिए ही विश्वविद्यालय को खोलने का फैसला एक बार फिर से इन भर्तियों को लेकर संशय पैदा कर रहा है ,क्योंकि पहले भी इस विश्वविद्यालय में छुट्टी के दिन साक्षात्कार लेकर अयोग्य लोगों नियुक्तियां मिली है । इसलिए अभी भी प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन इस वैश्विक महामारी को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इस्तेमाल कर रहे है।
इसलिए SFI राज्य कमेटी मांग करती है कि-
1)विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों की भर्ती के लिये बढ़ाई गई आवेदन फीस को शीघ्र वापिस लिया जाए।
2) प्रदेश सरकार के आदेशानुसार सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में महिलाओं के लिए निशुल्क आवेदन के फैसले को इन भर्तियों के सन्दर्भ में शीघ्र लागू किया जाए।
यदि सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन उक्त माँगो को हल करने के लिए कोई ठोस पहल नही करती है तो SFI प्रदेश के युवाओं व छात्रो को लामबद्ध करते हुए 7 जून को इन मांगों को लेकर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगी। और आने वाले भविष्य में छात्रो युवाओं व प्रदेश की जनता की व्यापक एकता के साथ इस आंदोलन को और उग्र किया जाएगा ।