अंकल-- सरकारी स्कूलों में भी होती है बेहतर पढ़ाई।
मैंने कभी नहीं लुगाई किसी भी विषय में ट्यूशन ।
खाली समय में करती हूं अपनी मम्मी की रसोई में खाना बनाने में सहयता ।
जानती हूं कि मेरे पास नहीं है उचित साधन परंतु जब आसमान में छेद करने की ठान ली है तो लक्ष्य प्राप्त कर के ही रहूंगी ।
क्योंकि गरीब की बेटी नहीं बन सकती क्या प्रशासनिक अधिकारी ?
घुमारवीं,
जब बहुत ही कम साधन होने के बावजूद बच्चे कामयाबी की नई ऊंचाइयां छूने को निकल पड़े और किसी हद तक वह बच्चे मां बाप को कामयाब होते भी दिखे तो एक तरफ तो मां-बाप की आंखों में उनके बच्चों के उज्जवल भविष्य के सपने तैरना शुरू हो जाते हैं , वही स्वप्नों को कैसे साकार किया जाए इसकी चिंता भी उन्हें सताने लग जाती है । क्योंकि उनके पास ऐसे कोई साधन भी नहीं होते जिनकी वजह से वह बच्चों को उन मुकाम तक पहुंचाने में इस्तेमाल कर सकें । लेकिन जब मां बाप व बच्चों के हौसले बुलंद हो तथा आसमान छूने का मन बना ही लिया हो तो बड़ी बड़ी चुनौतियों को भी उनके कदमों पर झुकने के लिए मजबूर हो जाना पड़ता है । कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला घुमारवीं उपमंडल की ग्राम पंचायत फटोह के गांव पनोह में जहां इसी पंचायत से संबंध रखने वाले बेसरिया राम जो हाल ही में इसी पंचायत के उपप्रधान भी हैं व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पनोह के स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान भी हैं की बेटी ने जमा दो की परीक्षा में 500 में से 479 अंक लेकर अपने सपनों को और पंख लगा दिए । जब इस बारे में उनकी बेटी नीतिका व उसके पिता बेसरिया राम सन्धु से जानना चाहा तो कुछ पल के लिए तो खुशी के मारे उनकी आंखें ही छलक आईं । यहां तक कि उन्हें कुछ बोलने के लिए शब्द भी नहीं मिल पा रहे थे । उन्होंने इसे भगवान की असीम कृपा बताते हुए कहा कि आज उसकी बेटी ने अपने सपने साकार करने के लिए लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अब कदम बढ़ा दिया है तथा इसके लिए वह दिन-रात कड़ी मेहनत करेगा ।
बेसरिया राम संधू ने बताया कि वह गांव में ही प्लंबर का काम करता है तथा बेटी नीतिका की मां नीलम संधू गृहिणी है । उसने बताया कि उसके बेटे नितिन ने भी जमा दो की परीक्षा में 90% अंक लिए थे तथा उसे प्रदेश शिक्षा बोर्ड द्वारा लैपटॉप से सम्मानित किया था तथा अब हुए महाविद्यालय बिलासपुर से उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहा है।
बेरिया राम ने बताया कि उन्हें अपने बेटे व बेटी पर गर्व है तथा वे अपने बच्चों को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करेगा ।
उधर नीतिका कुमारी ने अपनी कामयाबी का श्रेय गुरुजनों माता पिता व अपने चाचू प्रवक्ता राकेश कुमार संधू को देते हुए कहा कि उसका बचपन से ही एकमात्र लक्ष्य प्रशासनिक अधिकारी बनकर गरीब व जरूरतमंद लोगों की सहायता करना है तथा इसके लिए उसने प्रारंभिक शिक्षा से ही तैयारी करना शुरू कर दी है । उसने बताया कि हालांकि उसके पास साधन कम है लेकिन फिर भी वह अपना लक्ष्य प्राप्त कर ही कर ही दम लेगी । उसने बताया कि उसने आज तक किसी भी विषय के लिए ट्यूशन नहीं लगाई तथा ना ही उसके पास ट्यूशन लगाने के अन्य आर्थिक साधन है । लेकिन जब मन में प्रशासनिक अधिकारी बनने की ठान ली है तो इसके लिए अगर दिन रात बिना सोए पढ़ाई करनी पड़ी तो इसके लिए भी तैयार है । उसने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए मेरे ही पिता बेसिया राम संधू ने प्रेरित किया ।क्योंकि वह पंचायत के उपप्रधान रहकर गरीब लोगों की सेवा करने में दिन-रात तत्पर रहते हैं । ऐसे में उसने भी अपना मन बना लिया है कि वह ऐसे ही दबे कुचले लोगों की सहयता के लिए की शिक्षा ग्रहण करेंगी तथा प्रशासनिक अधिकारी बनकर ऐसे दबे कुचले लोगों असहाय बच्चों की मदद करने में दिन-रात एक कर देगी । उसने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी बनने तक के रास्ते में उसे काफी आर्थिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ेगा । लेकिन जितनी ज्यादा चुनौतियां होगी उतना ही उसे अपने मुकाम तक पहुंचने में नया तजुर्बा भी होगा तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वह दिन-रात एक करने को तैयार है ।