शिमला,
श्रद्धा सुमन अर्पित उन वीरों को
विजय का जो परचम लहराया
राष्ट्र ध्वज चोटियों पर फहराकर
माँ भारती का मान बढ़ाया.
कारगिल विजय दिवस पर
याद आयी शूरवीरों की कुर्बानियाँ
शहादत की अनसुनी कहानियाँ.
लहु जो बहा सरहद पर
वो न था कतरा किसी मज़हब का
था बस केसरी रंग हिन्दुस्तानी.
चोटियां से भी ऊंचा बहुत ऊंचा
था हौसला इन वीरों का
कैप्टन विक्रम बत्रा,
सौरभ कालि़या जैसे अनेकों
रंणबाकुरों ने कारगिल
द्रास की चोटियाँ फतह कर
दुश्मन को मार भगाया था.
माँ,बेटी,पत्नी,बहन के ज़ज्बे को
भी उनके कहाँ हम भूल पाएगें
तिरगें मे लिपटे अमर वीरों की
शौर्य गाथा सदियों तक
भावी पीढ़ी को सुनायेंगें.