*हरिहरपुरी की सूक्तियँ*
1-सौभाग्य और दुर्भाग्य कर्माधीन होते हैं।अत:जीव को सत्कर्म करते रहना चाहिये।
2-निष्कपट व्यक्तित्व के चेहरे पर तेज होता है।
3-चरित्र और स्वाभिमान में सामाजिक गर्जना होती है।
4-वैश्विक अपनत्व का विकास महापुरुषत्व की ओर अग्रसर रहता है।
5-लौकिक पद की प्राप्ति की लिप्सा व्यक्ति को बेचैन करती रहती है।
6-लोक को समझे बिना परलोक की ओर गमन संभव नहीं है।
7-अंतरात्मा की पुकार में दैवी शक्ति होती है।
8-पवित्र साधन के अभाव में व्यक्ति का साध्य आदर्श नहीं बन पाता।
9-विकसित अंतर्दृष्टि ऊर्ध्वगामी होती है।
10-मोह का फन्दा विघटनकारी होता है।
11-आत्मतोष व्यक्ति को अध्यात्म की ओर ले जाता है।
रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801