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कविता

रोना छोड़ो*

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प्रीति शर्मा असीम | September 20, 2020 08:14 PM

*रोना छोड़ो*
*मात्रा भार 8/16*

रोना छोड़ो।
मेरे प्यारे हँसते रहना।।

खोना छोड़ो।
मेरे प्यारे बीते रहना।।

सोना छोड़ो।
प्यारे सदा जागते रहना।।

ढोना छोड़ो।
हल्का बनकर चलते रहना।।

कोना छोड़ो।
सरपट धावक बनकर चलना।।

टोना छोड़ो।
धर्म पंथ पर चलते रहना।।

दोना छोड़ो।
करपात्री बन चलते रहना।।

'दो ना' छोड़ो ।
दाता बनकर देते रहना।।

'नू ना' छोड़ो।
स्वीकृति सबको देते रहना।।

धोना छोड़ो।
सबका प्रिय बन जीते रहना।।

रचनाकार:डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801

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