इस युग की बेटियाँ
हम शिक्षित हैं, सशक्त हैं, मजबूर नहीं मज़बूत हैं,
हम हैं इस युग की बेटियाँ..
किसे डराती है दुनिया ।।
हम वो नहीं रहे जो रूढ़ीवादी बेड़ियों में जकड़े रहें, स्वाभिमान से निभायेंगे हर परंपराओं को,
हम हैं इस युग की बेटियाँ..
किसे डराती है दुनिया ।।
हम वो नहीं रहे जो बस गुड्डे-गुड़ियो से खेले,
हमें पसंद है मैदान में भी खेलना,
हम हैं इस युग की बेटियांँ..
किसे डराती है दुनिया ।।
हम वो नहीं रहे जो चारदीवारी के अंदर झरोखों से गलियां देखें, हमें भी देखनी है दुनिया,
हम हैं इस युग की बेटियाँ..
किसे डराती है दुनिया ।
सारिका "जागृति"
ग्वालियर(म.प्र)