मुंबई
माँ के ममता की बौछार ।
माँ के आँचल का प्यार ।
अनवरत् मिलता बारम्बार ।
मन की यही है पुकार ।
माँ का प्रेम अनूठा है ।
जग का प्रेम झूठा है ।
इस अनूठेपन का मन से,
बार- बार सत्कार है ।
माँ का गान सुनाओ री ।
माता माता गाओ री ।
माता फेरी लेने निकली ।
माता को द्वार बुलाओ री ।
मन की मंज़िल माता हैं ।
मन माता में सुख पाता है ।
हर दम मन के अंतर में,
जगपावन माँ सुखदाता है ।।