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दीपावली पर विशेष कविता

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उमा ठाकुर | November 15, 2020 07:32 AM

शिमला,

दीपावली की शुभ बेला पर

 जगमग दीप जले

 मिटे मन के कलेश

 रिश्तों में हो अपनापन

 न रहे बाकि कोई द्वेष.

 

 न वैभव,न ऊंची उड़ान का दंभ

 बस रहे जीवन मूल्यों का संग

 विकृत सोच,लौ में जलकर

  फिर से मोती सी निखरे

हर बेटी अंधकार से निडर

दीप सी रौशन, सशक्त बने.

 

 कोविड से ढकी मासूम मुस्कान 

बिन मास्क जल्द मुस्कुराए

भीतर पसरे सन्नाटे तक

दीप का उजयारा फैले

प्रभु श्री राम की लीला 

कुछ एेसा कर जांए. 

 

लोकल फॉर वोकल अपना कर

करें स्वदेशी का प्रचार .

गरीबी अमीरी का सेतु लांघ

एक हो जीवन की रफ्तार .

 

 मिट्टी के दीप जलाकर

 हरित दीपावली मनाएं

 पटाखों की गरजन से

पर्यावरण दूषित होने से बचाएं. 

 

देश के प्रहरी को नमन कर

सरहद पर परचम लहराएं

एक दीया शहीदों के नाम कर

दीपावली अपनी पावन बनाएं.

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