Friday, April 19, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
एसडीएम अर्की यादविन्द्र पाल की अध्यक्षता में स्वीप टीम अर्की ने लगाया मतदाता जागरूकता शिविरसुदृढ़ लोकतंत्र निर्माण के लिए मतदान आवश्यक अतिरिक्त उपायुक्त ने की ज़िला स्तरीय माता मनसा देवी मेले के समापन समारोह की अध्यक्षतालोकसभा का चुनाव राष्ट्रवादी शक्तियों और परिवारवादी शक्तियों के बीच : बिंदललोकसभा चुनाव को लेकर मतदान कर्मियों की पहली रेंडमाइजेशन का आयोजनहिमाचल की उच्च राजनीतिक परंपराओं को भाजपा ने कलंकित किया  : दीपक शर्मायूथ कांग्रेस के अध्यक्ष अनीश दीवान ने भाजपा के पूर्व शिमला सांसद पर निशाना साधते हुए काहा, हिमाचल पर जल प्रलय आया उस वक़्त वो कहा थेउपायुक्त ने बीडीओ टूटू अनमोल को यूपीएससी परीक्षा पास करने पर दी बधाई
-
धर्म संस्कृति

देवठन के बाद शिरगुल देवता मंदिर के कपाट पाँच माह के लिए बंद।

-
बालम गोगटा, जिला ब्यूरो प्रमुख , हिमालयन अपडेट | November 27, 2020 02:43 PM

चौपाल,

गुरूवार को देवठन पर्व पर भारी बर्फवारी के मध्य क्षेत्र के लोगों के आराध्य बिजट महाराज अपने बड़े भाई शिरगुल महाराज से मिलने चूड़धार पंहुचे ! चूड़धार पंहुचने पर बिजट महाराज का स्नान के बाद उनके बड़े भाई शिरगुल महाराज के साथ मिलन करवाया गया ! दोनों देव भ्राताओं के मिलन के उपरान्त शिरगुल देवता मंदिर के कपाट अगले पांच माह के लिए बंद कर दिए गए ! प्रति वर्ष आयोजित होने वाले इस देव कार्यक्रम में आम तौर पर पांच से छह हजार के बीच श्रद्धालु पंहुचते थे,परन्तु इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण करीब पांच सौ श्रद्धालु ही चूड़धार पंहुच पाए ! चूड़ेश्वर सेवा समिति के प्रबंधक बाबू राम शर्मा ने बताया कि देवठन पर्व पर चूड़धार में भारी बर्फवारी के बाद मंदिर के पुजारी,चूड़ेश्वर सेवा समिति के समस्त पदाधिकारी और सदस्य,मंदिर कमेटी के सदस्य एवं सभी होटल ढाबे वाले चूड़धार से चले गए है ! बर्फवारी के बाद चूड़धार में खाने पीने और ठहरने की कोई भी व्यवस्था नहीं है ! उन्होंने श्रद्धालुओं और ट्रैकिंग के शौक़ीन युवाओं से आग्रह किया है कि बर्फ के बीच चूड़धार की यात्रा अथवा ट्रैकिंग का जोखिम ना उठायें ! बाबू राम शर्मा ने बताया कि यूं तो प्रशासनिक तौर पर हर साल मंदिर के कपाट तीस नवंबर से 30 अप्रैल तक बंद रहते हैं,परन्तु इस बार नवंबर माह में ही चूड़धार में भारी बर्फवारी के चलते मंदिर के कपाट देवठन पर्व के साथ 26 नवंबर को ही बंद करने का निर्णय लिया गया है ! उन्हों ने बताया कि प्रशासनिक तौर पर भले ही मंदिर के कपाट 30 नवंबर से 30 अप्रैल तक बंद रहते है,परन्तु देव परम्परा के अनुसार हिंदी महीने पौष की सक्रांति पर देवता शिरगुल की सहमति जिसे स्थानीय भाषा में पौल लगाना कहते है से उसी दिन से बैसाख माह की सक्रांति तक कपाट बंद रखने की सदियों पुरानी परम्परा है ! दिसंबर माह में सक्रांति वाले दिन दिन चार माह की पौल लगने के बाद बैसाख यानी अप्रैल माह की सक्रांति को मंदिर के कपाट खोल कर देवता की विधिवत विशेष पूजा की रस्म आज भी निभाई जाती है !

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और धर्म संस्कृति खबरें
आनी  में  अष्टमी पर बंटा घी  का हलवा निरमंड के बागा सराहान का ऐतिहासिक झीरू मेला पर्व प्राचीन रीति रिवाज के साथ सम्पन्न  छ्ठे नवरात्रे पर बाड़ी मन्दिर में खूब लगे माँ के जयकारे माँ भगवती जन जागरण सेवा समिति 16 को उटपुर में करवाएगी जगराता होलिका दहन का महत्व: डॉ० विनोद नाथ चिंतपूर्णी में चैत्र नवरात्र मेला 9 से 17 अप्रैल तक बाबा भूतनाथ को दिया शिवरात्रि मेले का न्योता बुधबार् को देहुरी में होगा भव्य देव मिलन जय दुर्गा माता युवक मंडल चखाणा ने  श्रीराम मन्दिर प्राण प्राण प्रतिष्ठा पर आयोजित किया कार्यक्रम  चारों दिशाओं में सिर्फ राम नाम गुंजा और हर जनमानस राम में हो गया : विनोद ठाकुर
-
-
Total Visitor : 1,64,50,078
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy