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कविता

नया साल

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राजीव डोगरा 'विमल | December 31, 2020 04:25 PM

कांगड़ा,

नई उम्मीद लेकर आया है।

छोड़ चुके हैं जो
उनका हिसाब लेने आया है।
नया साल मां रणचंडी को
साथ लाया है,
उठाए खड्ग खप्पर
शत्रु का संहार करने आये है।
बीते हुए वक्त में
जो बन गए थे पराये 
फिर से उनको
अपना बनाने आया है।
नया साल नई उम्मीद
नव उमंग नवीन उत्साह 
साथ लेकर आया है।
नया साल महामारी से उठकर
नवीन पुलकित जीवन
साथ लेकर आया है।

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