घुमारवीं,
मेरा जीवन साथी छोड़ गया
मुझसे अब मुंह मोड़ गया
अब न होगी कभी मुलाकातें
यादों में गुजरेगी अब सारी रातें
दिन तो किसी तरह बीत जाएगा
घर मुझे अब काटने को आएगा
कैसे भूल पाऊंगा वो महक
जो तेरे आने से घर में छाई थी
तेरे आने से घर में आई थी बहारें
ज़िन्दगी में खुशियां आई थी
जिंदगी के ऐसे मोड़ पर क्या यूँ
कोई अकेला छोड़ कर जाता है
हर जगह तलाशती हैं नज़रें तुझे
अब दिल मेरा बहुत घबराता है
जानता हूँ मैं कि तुम अब नहीं हो
फिर भी यह दिल कहता है
तुम दूर नहीं हो मुझसे
तुम यहीं हो यहीं कहीं हो
हर पल तुम्हारा ख्याल रहता है
कहाँ ढूंढूं कहाँ जाऊं मैं
कहाँ तुम्हें आवाज लगाऊं मैं
तन्हाइयों में अक्सर रोता हूँ
भूलना चाहता हूँ पर भूल न पाऊं मैं
तुझसे मुलाकात अब नहीं होगी
कोई बात तुझसे अब नहीं होगी
कैसे गुजरेगी यह ज़िन्दगी तुम बिन
खुशियों की अब बरसात नहीं होगी
लोगों का हुजूम उमड़ा
सांत्वना दी बहुत कुछ कह गया
इस भरी दुनियां में
अब मैं अकेला रह गया