घुमारवीं,
रिश्तों को तराजू में यूँ न तोलिये
अनमोल हैं रिश्ते मत ज़हर घोलिये ।
पार्टियों के नाम पर बांट कर रख दिया
कोई तो मुंह खोलो कुछ तो बोलिये ।।
गांठ अगर रिश्तों के धागे में पड़ गई
रिश्तों की बुनाई अगर उधड़ गई
ज़िन्दगी में प्यार फिर लौटता नहीं
रिश्तों के अभाव में जिंदगी उजड़ गई
एक बार जो माला बिखर गई
फिर मोती चुन नहीं पाओगे
खत्म हो गई जो एक बार वह
कहानी दोबारा नहीं दोहराओगे
कुछ खुदगर्ज लोगों ने अपने लिए
समाज को बांट दिया कई हिस्सों में
आपसी प्यार और भाईचारा तो
सिमट गया अब कहानियों और किस्सों में
कहीं ऐसा न हो कि अपने प्यारे
रिश्ते भी इतिहास हो जाएं
दिल पर बैठी नफरत की धूल हटा दो
ताकि रिश्तों में फिर से मिठास हो जाये