वीणा को बजाओ आज मातु मेरी वीणापाणि,
शब्द शब्द कविता का स्वर से सजा सकूँ...
भरदो भण्डार आज ज्ञान का हे शारदे माँ,
नित प्रति आपकी मैं वंदना को गा सकूं...
शक्ति इतनी ही दो कि जिसका हो दंभ नहीं,
शत्रुओं के सीस मातु धड़ से उड़ा सकूँ...
चरणों में देकर जगह कीजिये निहाल,
बनकर दीप जलूं तम को मिटा सकूँ....