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कविता

' हे मां शारदे' वीणा वादनी वर दे,वर दे-

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 "विक्रम मिल्की बाबूलाल शर्मा" | February 16, 2021 03:00 PM


हे मां शारदे
वीणा वादनी वर दे,वर दे--- -------------2
मिटा अंधकार, जीवन रौशन कर दे, कर दे
हे मां शारदे--------------------------------2
भावों के उद्गारों से करूं अर्चना, करू अर्चना
हृदय में ज्ञान का भंडार दे मां, भंडार दे मां
वहां दे सुर की सरिता, गंगा सा प्रवाह दे मां, प्रवाह दे मां
अंत: करण में ये भाव दे मां, ये भाव दे मां
हे मां शारदे-------------------------------2
हो दिव्य दर्शन रोज तुम्हारे,हो तुम्हारे
अज्ञान को फ़िर, टाल दे मां, टाल दे मां
चढ़ाऊं पुष्प ,तुमकों अक्षत चढ़ाऊं
स्वीकार स्वीकार कर मां , स्वीकार स्वीकार कर मां
हे शारदे मां-------------------------------2
हम नादान नन्हें बाल तेरे,बाल तेरे
अपनी दया का प्रसार कर मां, प्रसार कर मां
लुटा दे ज्ञान का स्नेह हम पर , हम पर
जीवन धन्य कर दे मां, धन्य कर दे मां
हे शारदे मां------------------------------2

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