कांगड़ा,
वक्त की दौड़ मेंवक्त की हौड़ मेंसब कुछबहता चला जा रहा है।सिवाए मेरे हृदय मेंखनखनाती हुई तेरीस्थिर यादों के।
वक्त के शोर मेंवक्त के हिलोर मेंसब जगहखामोशी का एक सन्नाटाबिखरे जा रहा है।सिवाए मेरे अंतर्मन मेंतेरी गुनगुनाती यादों के।