नोटबंदी में मेरा गुप्तधन हथियाया
खुश होकर खूब जश्न मनाया
अपने रिश्तेदारों को बताया
मौज हुई खूब हल्ला मचाया
दाता ने मेरा दर्द पहचाना
आया लोकडाउन का जमाना
सुबह शाम तुम पौछा मारो
घर के सारे काम संवारो
उठते ही तुम चाय बनाओ
अदरक वाली मुझे पिलाओ
नाश्ते में सैंडविच बनाओ
खुद भी खाओ हमें खिलाओ
राजमा चावल, इडली डोसा
चाउमीन और छोला समोसा
लंच में तुम ये सब बनाना
बढ़े इम्यूनिटी मौज उड़ाना
पालक की भूर्जी,पनीर ड्राई
बेसन की रोटी, दाल फ्राई
रात बने ये हल्का खाना
नहीं चलेगा कोई बहाना
नहीं चल रहा कोई चारा
मारा गया वो तो बेचारा
अब तो जा कोरोना भाई
ऐसी नौबत कभी ना आई
डॉक्टर लाज कौशल
प्रोफेसर ,राजकीय महाविद्यालय कोसली, रेवाड़ी।