बारिश की वो पहली फ़ुहार,जब हम भीगा करते हैं।उस बचपन में आज फिर से लौट जाने को जी चाहता है।।धरा प्रसन्नचित्त होकर,हमें सन्देश देती है।हे मानव! संरक्षित लो इस पावन जल को,देख धरती का हर प्राणी खुश है।