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कविता

बूंद -बूंद करो संचय :डा ० अर्चना मिश्रा शुक्ला

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डा ० अर्चना मिश्रा शुक्ला | June 16, 2021 01:47 PM

पानी की जो बूंद है रख लो उसे सहेज,
तृप्त करे वसुधा यही जीवन की है जान,
जल के बिन सब सून है कर लो जतन हजार,
बूंद- बूंद संचय करो वर्षाजल जब आय।

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