Friday, March 29, 2024
Follow us on
-
कविता

जड़ से जुड़ना भूल गया और मानव नभ में उडा़ फिरे :मुकुट अग्रवाल 'भावुक'

-
मुकुट अग्रवाल 'भावुक' | June 24, 2021 11:01 PM

गगन चूमती ये मीनारें, आपस में बतियाती हैं।
मानव-मन की घोर लालसा, क्या-क्या खेल रचाती है।।

शुद्ध हवा, पानी, भूमि को, दूषित-रोगी बना दिया।
वन-उपवन को खंडित करके, कंकड़-कानन खड़ा किया।।
रोती रोती कुदरत माई, नर से आज निभाती है।
गगन चूमती ये मीनारें, आपस में बतियाती हैं।

जड़ से जुड़ना भूल गया और मानव नभ में उडा़ फिरे।
टिके समय का एक थपेडा़, औंधे मुंह गिर पड़ा मिले।।
जहरीली भूमि भी देखो, विष की फसल उगाती है।
गगन चूमती ये मीनारें, आपस में बतियाती हैं।

गगन चूमती ये मीनारें, आपस में बतियाती हैं।
मानव-मन की घोर लालसा, क्या-क्या खेल रचाती है।।

-

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और कविता खबरें
एसजेवीएन लिमिटेड द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन का आयोजन राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान 2023 से सम्मानित हुए युवा कवि राजीव डोगरा https://youtube.com/watch?v=CwwB-3QWd7c&si=sDQTJwQAxAjzhthR हिंदी की यही अभिलाषा हिंदी बने राष्ट्रभाषा; लोकेश चौधरी क्रांति आन मिलो मुरारी: सबके चित में तुम बसे , जैसे मुरली ताल शान ए कांगडा़ सम्मान से सम्मानित हुए युवा कवि राजीव डोगरा आज मैं आजादी की गाथा सुनाती हूं ,कैसे मिली आजादी यह सबको बताती हूंं ; लोकेश चौधरी ' क्रांति नैनों में तस्वीर तुम्हारी ,दिल में यादों का संसार ;अंजना सिन्हा "सखी पुकार रही है उसकी सजनी, अबकी मिल जाए मेले; अंजना सिन्हा "सखी " जय हिंद के प्रहरी ; पूनम त्रिपाठी "रानी" मुझे भूलना इतना आसान न होगा; पूनम त्रिपाठी "रानी"
-
-
Total Visitor : 1,63,86,020
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy