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कविता

सांभर : प्रेमपाल

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प्रेमपाल | July 10, 2021 04:20 PM

सांभर

बड़े दिनों के बाद 
बरसात का हुआ एहसास 
रिमझिम रिमझिम बारिश
की फुहार
 सुबह के बज गए सात

 बारिश बंद हो 
मन ने दी आवाज 
कब गार्डन में जाऊं
 गुड़ाई करूं आज

 भिंडी लगी तोरी लगी 
करेले की क्या बात 
कद्दू ,टमाटर , बैंगन 
सांभर खाने का मन आज 

थोड़ी-थोड़ी तोड ले आया
 खुद किचन में  दे आया
बासमती के चावल
और सांभर बनाना
 ऑर्डर मैडम को सुनाया

 

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