काश फिर वही बारिश आ जाये
काश वही चाय की प्याली मिल जाये....
रिमझिम बूँदों के संग संग
जब भीगें रहते थे मन भी
बारिश की सोंधी महक
और अदरक डली चाय की खुशबू
में डूब जाती थी हमारी गुफ्तगूं
चाय सी गर्माहट हो रिश्तों में भी
मुस्कुराहटों में फिर घुल जाए
चाय जैसी ही मिठास
थामें चाय की प्याली और
बैठे रहें लिए हाँथों में हाँथ
मिल जाये फिर वही बहाना
काश हो तुम्हारा फिर से घर आना
टिपटिप बारिश कभी न हो कम
खोए रहें बस इक दूजे में हम
काश फिर वही बारिश आ जाये
काश वही चाय की प्याली मिल जाये...
काश वही चाय की प्याली मिल जाये....