कैसा यह सुंदर संसार सजा है ।
घर बाहर सब द्वार सजा है ।
रंग बिरंगे फूल खिले हैं।
जाने क्यों उसमें हरी हरी
सब्जियां भी जुड़े हैं ।
फूलों से मन हर्षाता है।
दिल को बहलाता है।
पास अपने वह बुलाता है।
पर तुम क्या जानो भैया
हरी सब्जी क्या गुल खिलाता है ।
तेरे स्वास्थ्य को चमकाता है।
चेहरे की रौनक बढाता है।
सेहत की जंग जितने को
फौलाद बनाता है।
जो न बूझो भईया ,बहिनी
डॉक्टर की बस सैर कराता है।
तोरी हो, भिंडी हो ,या हो करैला
चलो झट बाजार लेकर थैला।
सीमा सिन्हा मैत्री