आजकल हमारे समाज में एक नई बहस छिड़ी है कि क्या लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए? प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2021 के अभीभाषण में यह संकेत दिए थे कि कन्याओं की शादी की उम्र 18 से 21 वर्ष कर दी जानी चाहिए इस विषय में कुछ जो तथ्य है इस प्रकार से रखे जा रहे हैं कि हमें अपनी लड़कियों और बहनों की शादी की उम्र बढ़ाने से कुपोषण व स्वास्थ्य के लिए उचित समय मिल पाएगा जोकि महिला सशक्तिकरण की तरफ पहल हो सकती है।
हालांकि कुछ गैर सरकारी संगठनों ने इस विषय में विरोध जाहिर किया है उनका कहना है कि महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने का औचित्य नहीं है क्योंकि राष्ट्र महिला सशक्तिकरण महिला के प्रति अपराध और उनकी आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए कुछ मूलभूत सुविधाओं से भी जूझ रहा है।
सन 1978 में महिलाओं के शादी की उम्र 16 से 18 वर्ष विवाह योग्य उपयुक्त मानी गई थी किंतु अगर देखा जाए कि 40 वर्षों के बाद भी हमारे पास अभी भी बाल विवाह की दर करीब करीब 23% है। तो एक प्रश्न उठता है कि क्या सच में विवाह योग्य उम्र में बढ़ोतरी क्या सचमुच महिला व बालिकाओं के सशक्तिकरण में क्या अहम भूमिका निभा पाएगी?
और दूसरी तरफ देखा जाए तो अभी भी कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या बहुत अधिक है पूरे विश्व में 5 बच्चों में से आधी जनसंख्या भारत में ही पाई जाती है।इस अस्वस्थता से निपटने के लिए दशकों के निवेश के बावजूद, भारत की बाल कुपोषण दर अभी भी दुनिया में सबसे खतरनाक में से एक है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स (2020) - जिसकी गणना जनसंख्या के कुल अल्पपोषण, बाल स्टंटिंग, वेस्टिंग और बाल मृत्यु दर के आधार पर की जाती है इसमें भारत को 107 देशों में से 94 वें स्थान पर रखा गया है (डाउन टू अर्थ, 15 अप्रैल 2021)। यह आंकड़े बहुत ही दयनीय और चौंकाने वाले हैं।
भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का 4% तक और अपनी उत्पादकता का 8% बाल कुपोषण के कारण खो देता है, जो कि भारत जैसी भर्ती हुई अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही हानिकारक है। और अगर शिक्षा की बात करें तो हमारे देश में गरीबी रेखा के नीचे केसर के परिवारों में लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर बहुत ही अधिक है हालांकि शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप में दिया गया है किंतु अगर किसी भी नियम या कानून को धरातल पर लागू न किया जाए तो इसका कोई औचित्य नहीं रह पाएगा।
इस प्रकार से देखा जाए तो बालिकाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्हें उचित सुविधाएं उपलब्ध कराना, नियम- कानून को कठोरता से लागू करना व हमारे सामाजिक ढांचे को और सुदृढ़ करना कुछ बुनियादी चीजें हैं जो कि की जानी चाहिए। फलस्वरुपत: हमें अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कन्या को सशक्त करना अनिवार्य है हमें इस विषय में बहुत अधिक अनुसंधान व सामाजिक व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता होगी। तो इस विषय में एक वृहद और और गहन अध्ययन होना चाहिए।