शिमला,
भारत में कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन जो कि ओमीक्रोन के नाम से जाना जा रहा है अब दस्तक दे चुका है । इस स्ट्रेन की संक्रमण क्षमता पिछले स्ट्रेनस से कहीं अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 89 देशों में ओमाइक्रोन संस्करण की पुष्टि हुई है और सामुदायिक प्रसारण वाले मामलों की संख्या 1.5 से 3 दिनों में दोगुनी के करीब हो जाती है।
कुछ ही हफ्तों में इन देशों में क करोड़ों लोगों में संक्रमण का पता चला है । विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नया स्ट्रेन डेल्टा वैरिएंट की तुलना में काफी तेजी से उन देशों में फैल रहा है, जहां कम्युनिटी ट्रांसमिशन का दस्तावेजीकरण किया गया है। डॉ एंजेलिक कोएत्ज़ी जिन्होंने दुनिया के पहले ओमीक्रोन मामले का पता लगाया था, ने भी बात की पुष्टि की है। हमारे देश में भी संक्रमण दर काफी अधिक है। दिल्ली में 5 दिसंबर 2021 को ओमाइक्रोन का पहला मामला दर्ज किया गया। इस बीच, भारत देश में ओमाइक्रोन प्रकार के कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए लोगों की कुल संख्या 200 के करीब पहुंच गई है और अब तक की तुलना में बहुत अधिक है। देश में अब तक पाए गए कोविड-19 के ओमीक्रोन संस्करण के कुल मामलों में से, 13% हल्के थे, जबकि 80% स्पर्शोन्मुख थे और 44% अब तक स्वस्थ हो चुके हैं यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया द्वारा राज्यसभा को दी गई रिपोर्ट पर आधारित है।
ओमीक्रोन का शेयर बाजार पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सोमवार को ओमाइक्रोन को लेकर आशंका के बीच सेंसेक्स 1,800 अंक से अधिक टूट गया। कोरोनावायरस के नए ओमाइक्रोन संस्करण को लेकर वैश्विक आशंकाओं के बीच सोमवार को शीर्ष भारतीय इक्विटी इंडेक्स काफी नीचे स्तर तक चला गया था। सोमवार दोपहर तक सेंसेक्स लगभग 1,800 अंक नीचे था जबकि निफ्टी 16,450 के बेंचमार्क स्तर से नीचे कारोबार कर रहा था। मंगलवार को भी शेयर बाजार में कोई खास तेजी देखने को महसूस नहीं हुई । सूचना व प्रौद्योगिकी के कुछ शेयर्स को छोड़कर अधिकांश का व्यापार मध्यम ही रहा। इस तरह का रुख आने वाले कुछ समय तक देखा जा सकेगा I इस प्रकार के कारोबारी हालात से निचले व मध्यम वर्ग के व्यापारियों पर बुरा प्रभाव पड़ने वाला है।
अगर हम इस समस्या से निपटने के बारे में विचार करें तो वह स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों पर और अधिक जोर देने की आवश्यकता है। साथ ही सरकार व स्वास्थ्य विभाग एक और बूस्टर डोज पर विचार कर रहा है। हालांकि कुछ मामलों में वैज्ञानिकों ने यह देखा है कि बूस्टर डोज का प्रभाव अधिक नहीं है किंतु यह बात तय है कि बूस्टर डोज से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ेगी ही।
साथ ही हमें कोरोना संबंधी सावधानियों का विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए और किसी भी प्रकार की कोताही हमारे लिए घातक हो सकती है। ऐसा देखा जा रहा है कि हम लोग मास्क व सैनिटाइजेशन का प्रयोग उचित रूप से नहीं कर पा रहे हैं इस विषय में भी जागरूकता होनी चाहिए और समय रहते ही हमें अन्य विकल्पों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है जो कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकें। यह बात जरूरी तौर पर समझनी चाहिए कि हमें स्वस्थ रहने के लिए अनुशासित दिनचर्या और स्वस्थ भोजन की भी उपयोगिता है।