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“गोरखधंधा” शब्द को समय-समय पर अलग तरह से परिभाषित किया गया है इस शब्द के आध्यात्मिक व अन्य कई दृष्टिकोण से प्रयोग में लाया गया है मैं इस विषय में विभिन्न मतों का विवेचन करना चाह रहा हूं i
“गोरख धंधा” शब्द गुरु गोरखनाथ के कई चमात्कारिक सिद्धियों के कारण प्रयोग में आया था., जो महान योगी थे। लेकिन आजकल सामान्यतः किसी भी बुरे कार्य जैसे मिलावट, धोखा-धड़ी, छल-कपट, भ्रष्ट कार्यों के लिए यह शब्द प्रयोग होता है। शुरुआत में बहुत जटिल, बहुत उलझे हुए काम को गोरखधंधा कहा जाता था. नुसरत फतेह अली खान की कव्वाली "तुम इक गोरखधंधा हो." यह कव्वाली कई सालों से काफी मशहूर है I जॉर्ज वेस्टर्न ब्रिग्स की पुस्तक “गोरखनाथ एंड कनपटा साधुस ऑफ इंडिया” मे नाथपंथी योगियों के बारे में विस्तार से बताया गया है किंतु गोरखधंधा शब्द के बारे में उन्होंने कोई अधिक विवेचन नहीं किया है यह बात तो तय है कि कालांतर में गोरखधंधा नामक शब्द का गलत उपयोग हुआ है।
उर्दू के एक विद्वान आमेर लतीफ ने गोरख धंदा शब्द का अनुवाद भगवान को "पहेली-ताला" के रूप में किया है। वह इस शब्द के अर्थों की सीमा के बारे में विस्तार से बताता है: "एक जटिल या कठिन मामला या समस्या; एक पहेली; एक भूलभुलैया; एक जटिल ताला, या एक पहेली।
तो यह हमें इस बारे में संकेत देता है कि इस शब्द का क्या अर्थ है: कोई भी चीज जिसकी सच्चाई या वास्तविकता को भ्रम या छल की वजह से समझना मुश्किल है, वह है गोरख धंधा। हालांकि अगर हम आध्यात्मिक व योग दृष्टि से देखें तो गोरख धंधे का अर्थ बहुत ही वृहद हो जाता है। नाथ संप्रदाय में श्री गोरखनाथ जी को महान योगी के रूप में माना जाता है और वह नाथ संप्रदाय के पूजनीय है वह एक विशिष्ट व्यक्तित्व व महान साधक थे जिनकी सिद्धियों के बारे में बहुत से धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है.
गोरखनाथ 11वीं शताब्दी में एक हिंदू योगी थे और योगी मछेंद्र नाथ (संस्कृत में मत्स्येंद्र नाथ) के शिष्य थे जिन्होंने योगियों का एक संप्रदाय - नाथ संप्रदाय शुरू किया था। किंतु आध्यात्मिक मार्ग के योगी गोरखनाथ जी को आदि अनंत व गुरु के सूक्ष्म रूप में भी मानते हैं जो की जन्म व मृत्यु के बंधनों से ऊपर उठ चुके हैं I हालांकि ऐतिहासिक दृष्टि से यह मानना सही है कि श्री गुरु गोरखनाथ के शिष्यों में हर एक धर्म संप्रदाय व समुदायों के लोग सम्मिलित थे वह उनका प्रभाव समाज के हर वर्ग पर समान रूप से रहा है उनके शिष्यों में नेपाल देश के राजवंश व उत्तराधिकारी भी सम्मिलित थे इस कारण गुरु गोरखनाथ जी एक महान समाज सुधारक और युग प्रवर्तक रहे हैंI
चूँकि वे योगी थे, मैं समझता हूँ कि उनमें रहस्यमय शक्तियाँ थीं, जैसे अदृश्य होना, उड़ना, दो स्थानों पर उपस्थित होना, असीम रूप से छोटा या बहुत बड़ा होना आदि। अब यह सब जनता की समझ से परे था और वे हैरान, चकित थे, ढांडा - मतलब काम का एक कार्य। इसलिए गोरखधंधा शब्द। उनके योग को समझना साधारण मनुष्य के लिए बहुत कठिन कार्य है इस प्रकार से उनके द्वारा की गई योगिक रचनाओं व क्रियाओं का प्रादुर्भाव भी इस शब्द से संबंधित किया जाता है तो इस प्रकार "गोरखधंधा" शब्द बहुत ही सम्माननीय शब्द है और वर्तमान में शब्द का गलत प्रचार व प्रसार हुआ है।