व्यसन या लत को इस रूप में परिभाषित किया जाता है कि किसी चीज को करने, लेने या उपयोग करने पर उस हद तक नियंत्रण न होना जहां यह व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। व्यसन आमतौर पर कुछ पदार्थों, शराब या जुआ आदि जैसी किसी आदत से जुड़ा होता है। इसी तरह आधुनिक दुनिया में इंटरनेट या सोशल मीडिया की लत नामक एक नई तरह की लत सामने आई है। पैथोलॉजिकल इंटरनेट यूज" (PIU) या इंटरनेट एडिक्शन डिसऑर्डर (IAD) शब्द किम्बर्ली यंग, पीएचडी द्वारा दिया गया था।
हमारे युग में बहुत तेजी से डिजिटलीकरण के साथ-साथ हमारे देश और दुनिया में सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ रहा है। सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले सामाजिक नेटवर्क के रूप में सूचीबद्ध हैं: फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप, एफबी मैसेंजर, इंस्टाग्राम, वीचैट, टिकटॉक इत्यादि। पिछले कई सालों से खासकर लॉकडाउन के दौर में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा है। छात्रों को अपनी कक्षाएं ऑनलाइन लेनी पड़ीं और इस प्रकार निश्चित रूप से सोशल मीडिया के उपयोग में भी वृद्धि की है। स्क्रीन टाइम बढ़ने के साथ-साथ लत लगने की संभावना भी बढ़ जाती है।
द्रहोसोवा और बाल्को (2017) द्वारा किए गए एक अध्ययन में, सोशल मीडिया के उपयोग के फायदे और नुकसान, 97.7% प्रतिभागियों ने कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग करने के फायदे संचार और सूचनाओं के आदान-प्रदान थे, जबकि 72.2% ने कहा कि सबसे बड़ा नुकसान था इंटरनेट आसक्ति। यह ज्ञात है कि उपयोगकर्ताओं के बीच, विशेष रूप से युवा आयु वर्ग को व्यसन के जोखिम है। हालांकि सोशल मीडिया को समाजीकरण का एक नया क्षेत्र माना जाता है और यह स्थिति एक फायदा है, यह भी बताया गया है कि सोशल मीडिया का पारस्परिक संबंधों, मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य और निजी जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह भी संभव है कि इंटरनेट की लत भी अवसाद के लक्षण दिखा सकती है।
इंटरनेट की लत के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- संसाधनों के प्रति व्यस्तता और निवेश में वृद्धि (जैसे, समय, धन, ऊर्जा)
- ऑनलाइन न होने पर अप्रिय भावनाएं (उदास, अवसाद, चिंता, अकेलापन, खालीपन)।
- कार्य/विद्यालय में कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव।
- मौजूदा संबंधों में समस्याएं विकसित होती हैं।
- नए ऑफ़लाइन संबंध बनाने में कठिनाई।
वैसे तो पश्चिमी देशों में कई नशा मुक्ति केंद्र हैं, लेकिन हमारा देश इस समस्या पर बहुत धीरे-धीरे प्रतिक्रिया दे रहा है। इंटरनेट की लत के लिए कोई दवा नहीं है। परामर्श वह उपयुक्त चीज है जो हम रोगियों को दे सकते हैं। अमेरिकन एडिक्शन सेंटर्स के अनुसार, कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) एक मूल्यवान उपचार है क्योंकि इसका उपयोग कई अलग-अलग प्रकार के व्यसनों के लिए किया जा सकता है। इस खतरे के लिए माता-पिता और स्वास्थ्य पेशेवर को मिलकर काम करना चाहिए। बच्चों को शुरुआत से ही तकनीक के उपयोग और दुरुपयोग के बारे में सिखाया जाना चाहिए।
उर्दू के एक मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली के शेर को थोड़ा बदल दिया जाए तो इस तरह से भी लिखा जा सकता है...
“धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो,
जिंदगी क्या है कि किताबों (मोबाइल) को हटा कर देखो”....
इस बारे में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है शिक्षकों को पाठशाला में और अभिभावकों को घर में बच्चों के मानसिक और शारीरिक उन्नति के लिए ध्यान देना चाहिएI खेलकूद प्रतियोगिताएं शारीरिक और मानसिक श्रम से जुड़ी हुई क्रियाकलाप को शिक्षा का अभिन्न अंग बना दिया जाना चाहिए और उस पर सुचारू रूप से काम करना चाहिए ताकि हमारे बच्चों पर किसी प्रकार की टेक्नोलॉजी का दुष्प्रभाव ना पड़े और साथ ही बच्चे यह समझ पाए कि टेक्नोलॉजी का किस प्रकार सदुपयोग किया जाना चाहिए।