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कविता

सनातन धर्म का महत्त्व - 'डॉ. मधु मिश्रा'

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डॉ. मधु मिश्रा | January 18, 2022 06:59 PM

सनातन धर्म

आज की युवा पीढ़ी अपने पुरखों को,

गलत समझने की भूल कर बैठे।

आधुनिक बनने की चाहत में, 

हम अपनी परम्पराएँ खो बैठे।।

 

क्वॉरन्टीन और आइसोलेशन बस,

ये अंग्रेज़ी के मात्र शब्द हैं।

जिसे हमारे धर्म में मित्रों,

शुद्धिकरण कहा करते हैं।

 

मृतक का अंतिम संस्कार कर,  

प्रवेश नहीं करना है घर में।

अन्य जीवाणु न फैले इधर-उधर,

जो रहा होगा मृतक के शरीर में।।

 

13 दिन तक अछूत बनकर अपने ही घर में, जीवनयापन करना पड़ता है।

उन दिनों में सात्विकता को अपनाकर,

आवश्यक वस्तुओं के संग अलग ही रहना पड़ता है।।

 

सिर के बाल सभी हटवाकर, 

शुद्धिकरण करते हैं तेरहवें दिन।

इस परंपरा का निर्वहन करते हैं,

जो है  इस युग में भी सत्य सनातन।।

 

तब और दौर हुआ करता था,  

जब अन्य लोगों ने हमें ब्लडी इंडियन,

कहकर हमारा मज़ाक उड़ाया था,

अब क्या कहेंगे इस दौर को,

क्या अब भी हमारा मज़ाक उड़ाओगे,

या फिर हमारे,

सत्य सनातनी धर्म के रंग में ही रंग जाओगे।

 

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