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एंग्जायटी (Anxiety) - सामान्य लक्षण और इलाज।......डॉ विनोद नाथ

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डॉ विनोद नाथ | January 23, 2022 07:40 AM

एंग्जायटी एक प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है। यदि आपको चिंता विकार (Anxiety disorder) है, तो आप कुछ चीजों और स्थितियों पर भय और भय के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं। आप चिंता के शारीरिक लक्षणों का भी अनुभव कर सकते हैं, जैसे कि तेज़ दिल की धड़कन, अचानक मनोदशा में परिवर्तन होना, थकान और पसीना इत्यादि।
चिंता होना सामान्य है, यह एक सामान्य शारीरिक और मानसिक प्रतिक्रिया है। यदि आपको काम पर किसी समस्या से निपटना है, किसी साक्षात्कार में जाना है, किसी विषम वातावरणीय परिस्थिति से निपटना है, परीक्षा देनी है या कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना है, तो आप चिंतित या घबराए हुए महसूस कर सकते हैं। चिंता तनाव की एक सामान्य क्रिया है और कुछ स्थितियों में फायदेमंद भी हो सकती है। यह हमें खतरों के प्रति सचेत कर सकती है और हमें तैयारी करने और ध्यान देने में मदद कर सकती है। चिंता विकार (एंग्जाइटी), घबराहट या चिंता की सामान्य भावनाओं से भिन्न होती हैं और इसमें अत्यधिक भय या चिंता शामिल होती है। चिंता विकार मानसिक विकारों में सबसे आम हैं और लगभग 30% वयस्कों को उनके जीवन में कभी न कभी प्रभावित करती हैं। लेकिन चिंता विकारों का इलाज किया जा सकता है और कई प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं। उपचार से अधिकांश लोगों को सामान्य उत्पादक जीवन जीने में मदद मिलती है।

चिंता विकारों के लिए जोखिम में कौन-कौन हैं ?

आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों का मिश्रण किसी व्यक्ति में चिंता विकारों के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है।
किसी शारीरिक या पारिवारिक विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं उन्हें भी चिंता विकार हो सकता है। आजकल की परिस्थिति के बारे में विचार किया जाए तो क्योंकि कोविड-19 के दौरान बहुत सारी समस्याएं हमारे सामने खड़ी हो गई है जिसमें महत्वपूर्ण समस्या हमारी आर्थिक और व्यवसायिक स्थिति को लेकर है, और साथ ही हमें सामाजिक रूप से कुछ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ रहा है। इस कारण हर एक आयु वर्ग में कुछ न कुछ चिंता या तनाव पैदा हो रहा है। तो सामान्य स्थिति से हटकर कोई भी ऐसी स्थिति जिसमें आपको कुछ दबाव महसूस हो रहा है वह चिंता का कारण बन सकती है। प्रारंभिक बचपन या वयस्कता में तनावपूर्ण या दर्दनाक घटनाएँ भी कारण हो सकती हैं। चिंता या अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का पारिवारिक इतिहास भी इस बारे में जिम्मेदार हो सकते हैं।
महिलाओं में चिंता विकार अधिक बार होते हैं। शोधकर्ता अभी भी अध्ययन कर रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है। यह महिलाओं के हार्मोन से ही संबंधित माना जा सकता है। हार्मोन टेस्टोस्टेरोन भी एक भूमिका निभा सकता है, पुरुषों पुरुषों में यह अधिक मात्रा में पाया जाता है, और यह चिंता को कम कर सकता है तू इस कारण अगर हार्मोन में किसी तरह का बदलाव आ रहा है वह भी चिंता का कारण बन सकता है। अगर कोई स्त्री या पुरुष ऐसी बीमारी से जूझ रहा है जिस के इलाज की संभावना बहुत कम है तो भी चिंता बढ़ जाती है।
रिश्तों में विश्वास की कमी, एक दूसरे से आगे निकलने की दौड़, असुरक्षित महसूस करना, लड़ाई-झगड़ा, ग़लत व्यवहार, अनियमितता, समाज से दूर रहना, अपनी ही जिंदगी में लीन रहना यह सब बेचैनी के कारण हैं। एंग्जायटी (Anxiety) को पहचानना मुश्किल है।
अगर कोई विशेष नकारात्मक विचार या परेशानी बहुत लंबे वक्त तक बनी रहे और उससे आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ने लगे तो ये वाकई खतरनाक है।

एंग्जायटी (Anxiety) पर काबू कैसे करें?

चिंता पर काबू पाना एक बहुत ही व्यक्तिगत यात्रा है, और एक व्यक्ति के लिए जो काम कर सकता है वह दूसरे के लिए काम नहीं कर सकता है। थेरेपी, दवा, प्राकृतिक उपचार, और मुकाबला करने की रणनीतियों का अभ्यास करने से व्यक्ति को अपनी चिंता को दूर करने में मदद मिल सकती है।
विश्राम: योग का अभ्यास, या ध्यान, श्वास, मालिश और विश्राम तकनीकों की कोशिश करने से व्यक्ति को चिंता से निपटने में मदद मिल सकती है।
नियमित भोजन और स्वस्थ नाश्ते के साथ संतुलित आहार खाने से शरीर स्वस्थ रहेगा।
संतुलित जीवन और अच्छी नींद ले अपने आप में सकारात्मक ऊर्जा को संरक्षित करने का प्रयास करें ऐसी सभी चीजों से अपना पल्ला झाड़ ले जो कि आप में नकारात्मक ऊर्जा देती है चाहे वह कोई व्यक्ति विशेष ही क्यों न हो।
अपने आप को चिंता विकार से निकालने के लिए अच्छे सलाहकार या स्वास्थ्य पेशेवर से बात बात करें और उनके सुझावों पर अमल भी करें।
हालांकि चिंता विकार से निपटने के लिए बहुत सारी उपचार हमारे पास मौजूद हैं किसी एक उपचार पर अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता बल्कि बहुत उपचारों को एक साथ मिलकर के इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह एक व्यक्तिगत रूप से निर्धारित किया जाता है कि कौन सा उपचार या फिर कौन से उपचारों का सही संतुलन व्यक्ति विशेष के लिए लाभकारी होगा मैं यहां कॉग्निटिव मेडिसिंस थेरेपी (CBT)और योग के बारे में अधिक ध्यान देना चाहूंगा।

तंत्रिका-संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा or Neuro-Cognitive Behavior Therapy (CBT) किसी व्यक्ति की सोच और व्यवहार पैटर्न को पहचानने और समझने पर केंद्रित है।
ऐसा करने से व्यक्ति अपनी चिंता को कम करने के लिए इन पैटर्न को बदल सकता है। समय और परिस्थितियों के अनुसार, लोग कुछ सप्ताह में लाभ देख सकते हैं। एक व्यक्ति को उन कौशलों को सीखने में मदद करता है जो वे अपने पूरे जीवन में चिंता को दूर करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।सत्र एक व्यक्ति को उनके उपचार के दौरान प्रगति में मदद करने के लिए गतिविधियों के साथ प्रदान कर सकते हैं। इस तरह का कुंभक प्रदान करने जैसा होता है ताकि मनुष्य को अपने मानसिक संतुलन और चिंता के बारे में सही ज्ञान हो और वह धीरे-धीरे खुद ही प्रयास करें। इस तरह की थेरेपी से एक फायदा यह भी है कि भी हमें महंगी ड्रग्स थेरेपी या फिर एंटीएंजायटी के लिए जो दवाएं दी जाती है उसके दुष्प्रभाव से भी बचा जा सकता है।
योग और ध्यान के बारे में बात कहूं तो यह एक सटीक और अच्छी थेरेपी है। विदेशों खासतौर पर पाश्चात्य देशों ने इस बारे में बहुत शोध किया है कि योग व ध्यान की क्रियाएं हमारे मानसिक संतुलन और चिंता को व्यवस्थित करने में बहुत ही लाभकारी होती है। योग का हमारे मस्तिष्क पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और अगर हम निरंतर अभ्यास करते रहे तो हम अपने जीवन में एक सुदृढ़ विचारधारा व सकारात्मक सोच का सृजन कर लेते हैं साथ ही हम में आध्यात्मिक ऊर्जा का उत्पादन होने लगता है जोकि हमारे लिए बहुत ही लाभप्रद हो जाती है। बहुत से साधकों में यह अनुभव किया गया है कि उन्हें किसी भी तरह की एलोपैथिक दवाई की आवश्यकता नहीं पड़ी है और वह अपने चिंता विकार से बहुत अच्छे स्तर पर उभर कर आएं हैं। अगर आपको किसी भी तरह की है चिंता विकार का लक्षण प्रतीत होता है तो शीघ्र ही किसी योग्य सलाहकार व चिकित्सक से परामर्श करें।

डॉ विनोद नाथ (योगी राम के 18)
चेयरमैन श्रीनाथ योग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन (रजि.)

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