तुम कहां जा रहे हो(ब्रेन ड्रेन)
तुम कहां जा रहे हो
घर छोड़ा ,शहर छोड़ा
अब देश भी छोड़े जा रहे हो
कुछ नीति के नाम पर
कुछ रीति के नाम पर
कभी क्षीण विकास पर
घर छोड़े ही जाते हैं
पराए देश की चमकीली राहें
देख तुझे वह अभी बुलाए
आंखों पर यूं डाल ना चश्मा
देश की यादें सदा सताए
माना कुछ कमी है यहां अब
मिलकर खोजेंगे हम हल
यूं देश छोड़कर मत जाओ
वरना पछताओगे तुम कल
छोटी सी उम्मीद की किरण
उजाला कर देंगी तेरा जीवन
डाल यहां प्रकाश तू अपना
मां भारती में भर नवयौवन
तेरी मां अब तुझे पुकारे
छोड़कर देश तु अब घर आ रे
यहां का भी है कर्ज चुकाना
छूटे हैं जो दर वो सारे