यह जीवन जस मोती की सीपी
निकल जाए सीपिज,रह जाए खोली
यह देह प्राणी, बस एक माया
उड़ जाए पंछी, रह जाए काया।
यह जीवन तेरा,जस एक दीपक
बुझ जाए दिवला, रह जाए वर्ती
यह जीवन जस,सूरज की मर्ज़ी
ढल जाए सूरज, बुझ जाए अर्चि।
यह दुनिया है, चार दिन का मेला
मेले में तेरा,दो दिन का है खेला
इस मेले से, तू जाएगा अकेला
तोड़ दे बन्धन,तज दे झमेला
एकात्म हो जा तू ,उसमें हे प्राणी
जिसने धरा पर, तुझको है भेजा।