बस्ते का बोझ
नन्हे मुन्ने ये नौनिहाल
हैं देश के ये कर्णधार
है भविष्य का बीज इनमें
होगा इनसे ही कल खुशहाल
मुठी में ये भर ले तारे
कदमों में इनके आसमान
होगी सपनों की ताबीर इनसे
बदलेगी कल की तस्वीर इनसे
मासूम हैं फूलों के जैसे
देखों ये कुम्हलाये ना
उम्मीदों की बोझ तले
कहीं बचपन जान गवाएं न
कल ज़िन्दगी की दौड़ में
बिना रुके चलना होगा
अव्वल आनें की होड़ में
जाने फिर कब रुकना होगा
नाज़ुक कंधों पर इनके
बस्ते का बोझ बड़ा भारी है
माँ बाबा के सपने पूरे करने की
इन पर ही जिम्मेमेवारी है
दो दिन के हैं ये खेल खिलौने
कल पथरीली राहें होगी
गुज़र गया बचपन अगर
फिर कहाँ ये बेफिक्री होगी
नन्हें कोंपल ये जीवन के
आओ इन्हें सहेजें हम
कल की चिंता कल कर लेंगे
आज तो हँसने गाने दें हम