सुरक्षा
यातायात के नियमों का,
उलंघ्घन कभी न करता हूँ।
राष्ट्र और समाज हित का,
कर्तव्य पूर्ण मैं करता हूँ।।
स्वयं जागरूक होकर हमने,
औरों को सचेत करने का ठाना है।
देश के कोने-कोने में देखो कोई छूट न जाए,
युवा वर्ग को यह दृढ़ संकल्प निभाना है।।
विश्वगुरु था मेरा भारत,
फिर से महानता की मिसाल कायम करना है।
खोई हुई शक्तियों को,
पुनः हमें ही अलख जगाकर प्राप्त करना है।।
हम सुरक्षित, परिवार सुरक्षित,
जन-जन का इसी में कल्याण निहित है।
संस्कृति, सभ्यता, धरा और प्रकृति का,
संरक्षण हमें ही अब करना है।।
पूर्वजों की विरासत को,
संभाल हमें ही करनी है।
रे मानव! क्यों करता तू भूल,
धरती के समस्त प्राणियों को संरक्षित तुझे ही करना है।।
स्वरचित: