देखो यह तस्वीर हमसे बच्चे कुछ कह रहे
आह्लादित ये बच्चे संदेश हमें क्या दे रहे
मन के सच्चे दिल से भोले भाले ये बच्चे
ख़ुशियों से भरे कैसे निकले हैं मिले-मिले
चेहरे इन पुष्पों के जैसे गुलाब खिले-खिले
मन के शहंशाह हृदयके कोमल सजे-सजे
दिल के सच्चे जीवन बेफिक्र हैं जी रहे
घंटी बजी छुट्टी की मस्ती में निकल रहे
पीठ पर भारी बैग गले से लटकती वाटर बॉटल
ये नहीं बाधक सीढियों से उतरते झुमते-कुदते
गिरने का डर नहीं इन्हें मित्र जो हैं अगल-बगल
ऐसे ही आते-जाते हैं संग-संग बिना विभेद किए
साझी हैं खुशियाँ इनकी स्नेह का सौगात लिए
याद दिला गए आपना और अपने बच्चों के दिन
आज समझ पाए हम जीवन कैसे है जीया जाता
जीवन की ऊंची-नीची सीढियाँ कैसे चढ़ा-उतरा जाता
डॉ.लाला आशुतोष कुमार शरण