आंखों में सपने
उंगली में थामे पेंसिल
क्या लिखूं, क्या उकेरू
कोई कहानी लिखूं
या आपबीती
फूल रंग-बिरंगे
या खिलखिलाते झरने
गणित के प्रश्नों में उलझूं
या कबीर, मीरा को दोहराऊं
युद्ध की विभीषिका
विनाश का आहट
या दूं विश्व को
शांति का संदेश।
निहारूं प्रकृति की छटा
उमड़-घुमड़ के आई घटा
चित्रण करूं आस की
विश्वास की या विनाश की
लिख डालूं प्यार की पाती
क्योंकि मुझे दुश्मनी
की भाषा नहीं आती।।