कविता
बहुत दिनों से मैंने तो कुछ लिखा ही नहीं ; पूनम सिन्हा "प्रीत"
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ब्यूरो हिमालयन अपडेट 7018631199 | March 04, 2022 07:54 PM
पूनम सिन्हा "प्रीत"
बहुत दिनों से मैंने तो कुछ लिखा ही नहीं है,
जिस पर लिख सकूं ऐसा कुछ दिखा ही नहीं है। कभी सोचूँ आशिकों के परवान चढ़ते प्यार को लिखूंँ ,
या प्यार में टूटे दर्दे दिल के हाल को लिखूंँ।
त्रासदी झेल रही भूख की वेदना को लिखूंँ,
गरीबी में याचना करते आंखों की करुणा को लिखूंँ।
समाज में फैल रहे अंधविश्वास और कुरीतियों को लिखूँँ,
या फिर सरकार की ना समझी राजनीतियों को लिखूँ।
आगे बढ़ते विज्ञान के चमत्कार को लिखूंँ,
या फिर यातना झेलती नारियों की चित्कार को लिखूँ।
मानव की भाव हीन होती पराकाष्ठा को लिखूँ,
या "प्रीत" तेरे दिल में ईश्वर के प्रति आस्था को लिखूँ।
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