जगदंबे भवानी मैया तेरा त्रिभुवन में छाया राज है
सोहे वश कुसुमदल नीको , रत्नों का सिर पर ताज है
जब जब भीड़ पड़ी भक्तों पर ,तब तब आए सहाय करे
अधम उद्धारण तारण मैया, युग- युग रूप अनेक धरे।
शुभ करती तो
तू भक्तों के काज है, नाम तेरा गरीब नवाज है।
जल पर थल और थल पर सृष्टि, अद्भुत तेरी माया है
सुर नर, मुनि जन, ध्यान धरे नित, पार नहीं कोई पाया है
तुम्हारे हाथों में सेवक की लाज है ले लो शरण में मैया आज, सिर पर सोहे है ताज....
तुमको बुलाऊं, तुम नहीं आओ, ऐसा कभी ना हो सकता
बालक अपनी मां से बिछड़ कर सुख से कभी न सो सकता
मेरी नैया पड़ी मझधार है, अब तुम ही तो खेवनहार है
जगदंबे भवानी मैया तेरा त्रिभुवन में राज है....
जय मां भवानी