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कविता

मेरे शहर में ;राजीव डोगरा

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राजीव डोगरा | April 29, 2022 05:07 PM

 

आओ!कभी मेरे शहर में
तुम को गैरों को अपना बनाकर
दिल लगाना सिखाए।

आओ!कभी मेरे शहर में
तुमको  हर एक शख्स़ से
मोहब्बत करना सिखाए।

आओ!कभी मेरे शहर में
तुम को नफरतों के बीच में
पलता इश्क दिखाएं।

आओ!कभी मेरे शहर में
तुम को विषाद में भी
खिलते हुए चेहरे दिखाएं।

आओ!कभी मेरे शहर में
तुम को महकते पहाड़ो के बीच
पंछियों की मधुर वाणी सुनाएं।



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