शिमला ,
हिमालय साहित्य संस्कृति और पर्यावरण मंच शिमला द्वारा आयोजित दो दिवसीय कथा-संवाद का आज दूसरा दिन था जिसमें दस कथाकारों ने कहानी पाठ किया और अलग अलग कहानियों पर दस ही आलोचकों ने समीक्षाएं की। शुभारंभ मंच के अध्यक्ष एस.आर.हरनोट और पहले सत्र के अध्यक्षीय पैनल प्रो.मीनाक्षी एफ पॉल, डॉ. हेम राज कौशिक, रोशन जसवाल विक्षिप्त और दिनेश शर्मा ने किया। पहले सत्र में डॉ.कुल राजीव पंत ने "गोरी चींटियां", प्रियम्वदा शर्मा ने "बस यहीं तक", डॉ.अक्षय कुमार ने हीरो,, पंकज दर्शी ने अंग्रेजी की कहानी "द प्रायोरिटीज"और जगदीश कश्यप ने "उम्मीद" शीर्षक से कहानियां पढ़ीं जिन पर विस्तार से समीक्षाएं क्रमश: डॉ.देवेंद्र गुप्ता, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, अश्वनी कुमार, जगदीश बाली और डॉ. हेमराज कौशिक ने की। इस सत्र का संचालन दीप्ति सारस्वत ने बहुत खूबसूरत अंदाज में किया।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो.मीनाक्षी पाल ने लेखन को बहुत गंभीरता से लेने और निरंतर अध्ययन करते रहने पर जोर दिया जबकि गुप्ता जी ने आधुनिकता के भावबोध को लेकर वर्तमान समय की लेखन चुनौतियों पर विस्तार से की। कौशिक जी और दिनेश शर्मा ने भी कहानियों पर अपनी बात रखी।
उन्होंने आगे बताया कि दोपहर बाद शुरू हुए दूसरे सत्र में अध्यक्षता डॉ. देवेंद्र गुप्ता ने की जिनके साथ गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, हरदेव सिंह धीमान और पंकज दर्शी ने उनके साथ मंच साझा किया। इस सत्र में डॉ.संदीप शर्मा ने "बूढ़ों का गांव", अनंत आलोक ने "शीशम के पत्र", सतपाल घृतवंशी ने "कब आएगा मेरा लाल", लेखराज चौहान ने "वापसी" और कमला ठाकुर ने"घर तो परिवार से बनता है" कहानियों के पाठ किए जिन पर विस्तार से समीक्षात्मक टिप्पणियां क्रमश: डॉ.विद्या निधि छाबड़ा, डॉ. सत्या नारायण स्नेही, अभिषेक तिवारी, दिनेश शर्मा और दीप्ति सारस्वत ने की।
दो दिवसीय कथा संवाद का उद्घाटन पिछले कल राजेश कंवर, सचिव भाषा संस्कृति, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा किया गया। अध्यक्षीय पैनल तथा मुख्य वक्ताओं में डॉ. उषा बंदे, डॉ.देवेंद्र गुप्ता, डॉ. हेम राज कौशिक, डॉ.कर्म सिंह, गंगा राम राजी और डॉ सत्य नारायण स्नेही जी शामिल रहे। कार्यक्रम के शुरू होने से पूर्व वरिष्ठ साहित्यकार अवतार एनगिल और मुरारी शर्मा की दिवंगत माता को दो मिनट का मौन रख कर विनम्र श्रद्धांजलि भीअर्पित की गई। इस दिन का मुख्य आकर्षण गंगा राम राजी, त्रिलोक मेहरा, मुरारी शर्मा, पवन चौहान, चंद्रकांता, देव कन्या ठाकुर, भारती कुठियाला और गुप्तेश्वर नाथ जी के आपसी संवाद रहे।
हरनोट ने बताया कि यह पहली बार है जब इस तरह का कथा-संवाद केवल रचनाकारों पर केन्द्रित किया गया है जिससे न केवल एक-दूसरे के व्यक्तित्व और कृतित्व को समझने का मौका मिला बल्कि जिन लेखकों ने कहानियां पढ़ीं, वे इस विधा में बिल्कुल नए भी थे।
इस आयोजन में हिमाचल और स्थानीय लगभग पचास के करीब लेखकों ने उपस्थिति दर्ज की जिनमें हिमाचल यूनिवर्सिटी के शोध छात्रों सहित बाहर से आए डॉ.कुल राजीव पंत और उनकी धर्म पत्नी, डॉ. विद्या निधि, डॉ. सत्यनारायण स्नेही, डॉ.रोशन लाल जिंटा, दिनेश शर्मा, रोशन लाल जिंटा, दक्ष शुक्ला, फूड प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष रमेश गंगोत्रा और उनकी धर्म पत्नी, रोशन जसवाल विक्षिप्त, अभिषेक तिवारी, वंदना राणा, त्रिलोक मेहरा, हरदेव सिंह धीमान, दीपक शर्मा, दीप्ति सारस्वत, चंद्रकांता, रमेश डढवाल,आनंद शर्मा,वंदना राणा, राधा सिंह, कल्पना गांगटा, पंकज दर्शी, जगदीश कश्यप, कल्पना गांगटा, रमेश ढडवाल, राधा सिंह, सतपाल घृतवंशी व उनकी धर्मपत्नी, स्नेह नेगी, यादव चंद सलहोत्रा, चंद्रकांता, कमला ठाकुर, अनंत आलोक, पंकज दर्शी, प्रियम्वदा, अश्वनी कुमार, अक्षय कुमार, दीपक भारद्वाज, कुसुम और बहुत से साहित्यानुरोगी उपस्थित रहे।