भारतीय लोकतंत्र में जनता अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुनती है लेकिन ऐसा लगता है कि चुने जाने के बाद इनको मिली सुविधाओं पर इनका आजीवन अधिकार हो जाता है, जिसको छोड़ना इन्हें प्राण छोड़ने से भी ज्यादा मुश्किल लगता है।। कुछ इसी प्रकार के तथ्य सामने आए जब गाज़ियाबाद निवासी RTI कार्यकर्ता ने पूर्व सांसदों व मंत्रियों के सरकारी बंगलों के विषय मे RTI के माध्यम से केलोनिवि( CPWD) और सम्पदा निदेशालय से प्रश्न पूछे। RTI आवेदन से मिली जानकारी के अनुसार-
पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी की पत्नी पूर्व UPA अध्यक्ष सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री आवास से भी बड़े सरकारी बंगले 10, जनपथ का आवंटन जुलाई 1992 में निजी निवास के रूप में उनके पति की मृत्यु के बाद जिंदगी भर के लिए कर दिया था, जिसका प्रतिमाह लाइसेंस शुल्क मात्र 3875 रूपये हैवहीं एक अन्य RTI में जब RTI कार्यकर्ता द्वारा पूछा गया कि सोनिया गांधी के अलावा कितने आवंटियों को जीवनपर्यंत सरकारी बंगले का आवंटन किया गया है तो प्रत्युत्तर में बताया गया कि 1 जनवरी 2018 से अभी तक किसी को सरकारी बंगले का आवंटन जीवनपर्यंत के लिए नही किया गया है, जबकि पूछे गए प्रश्न में कही भी जनवरी 2018 की समयावधि का जिक्र ही नही था। अतः अब RTI कार्यकर्ता ने इस जबाब के विरुद्ध प्रथम अपील डाली है
एक अन्य RTI के जबाब में मिली जानकारी के अनुसार प्रियंका गांधी को सरकारी बंगले 35, लोधी एस्टेट का आवंटन बिना कोई चुनाव जीते या संवैधानिक पद पर नियुक्त हुए ही फरवरी 1997 यानी पिछले 21सालो से, SPG से संरक्षित होने के कारण किया हुआ है। इस बंगले के किराया 2002 में 53,000 रुपये था , जिसको देने में तथाकथित गरीब प्रियंका गांधी ने असमर्थता जताई और वाजपेयी सरकार में उन्हें किराए में छूट देकर किराया 11748 रुपये मात्र कर दिया गया। उनके साथ साथ यह रियायत बाकी तीन आवंटियों को भी दे दी गई थी।
यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि बाकी तीन आवंटियों में एम एस बिट्टा, के पी एस गिल और पंजाब केसरी के सम्पादक थे इन तीनों का समाज के लिए योगदान समझ मे आता है लेकिन प्रियंका गांधी को यह सब सुविधा सिर्फ उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण दे दिए जाना कहि न कही लोकतंत्र का मजाक ही है।अब यह भारतीय लोकतंत्र की विडम्बना ही है कि अगर आम आदमी को सरकार से आवास के लिए वित्तीय सहायता मिलती है तो एक परिवार के एक ही व्यक्ति को मिलती है जबकि यहाँ तो एक ही परिवार के हर सदस्य को बड़े बड़े बंगले बाँट दिए गए है, राहुल को अलग , सोनिया को अलग और प्रियंका को अलग। हो सकता है जल्दी ही प्रियंका गांधी के बच्चों को भी अलग अलग बंगले बाँट दिए जाएं।
- लास्ट बट नॉट लीस्ट दलितों की देवी बसपा सुप्रीमो मायावती की बात करे तो उनको सम्पदा निदेशालय ने दिल्ली में दो-दो सरकारी बंगले 4, जी.आर.जी. रोड और 3, त्यागराज रोड आवंटित कर रखे है।
यहाँ गौर करने लायक बात है कि ये सभी माननीय करोड़ो अरबो रुपये की संपत्ति (जिसका कोई ज्ञात स्रोत भी नही होता) के मालिक होने पर भी सरकारी बंगलों व सुविधाओं का मोह नही छोड़ पाते और हम इन लोगों से उम्मीद करते हैं कि जन कल्याण करेंगे, हमारा कल्याण करें या नही, लेकिन अपनी सात पुश्तों की अय्याशी का इंतेजाम जरूर कर देते हैं। जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का भद्दा मजाक मात्र है।