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कविता

स्मृति

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ब्यूरो हिमालयन अपडेट | September 30, 2022 05:42 PM

स्मृति के पथ पर

तुमको खोज पाना
थोड़ा कठिन था।

फिर भी तुमको
खोज पाया मैं
स्वयं की
आत्म अनुभूति में।

स्मृति के पथ पर
जो शेष रह गया था
वो सब
धुंधला-धुंधला सा ही था।

फिर भी तुम को
खोज पाया मैं
स्वयं के आत्ममंथन में।

स्मृति के पंथ पर
तुमको भूल जाना नामुमकिन था
फिर भी भूल कर भी
न भूल पाया अंतर्मन में तुमको।

राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वारा
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
9876777233
rajivdogra1@gmail.com
मौलिकता प्रमाण पत्र
मेरे द्वारा भेजी रचना मौलिक तथा स्वयं रचित जो कहीं से भी कॉपी पेस्ट नहीं है।

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