नेरवा,
एलपीआरआर से नामित एनएच 707 पर सफर करना अपने आप में बहुत ही जोखिम भरा है ! यूं तो इस पूरे मार्ग पर सुरक्षा के लिए पेरापिटों व क्रैश बैरियर का अभाव है,परन्तु फेडिज़पुल से मीनस तक 18 किलोमीटर लम्बे दुर्घटना की दृष्टि से सबसे खतरनाक इस मार्ग पर एकाध स्थान को छोड़ कर कहीं भी पैरापिट अथवा क्रैश बैरियर नहीं हैं,यानि इस सड़क के हर मोड़ पर यमराज ने अपना पहरा बैठाया हुआ है ! इस मार्ग पर दर्जनों ब्लैक स्पॉट हैं, या यूं कहना भी गलत नहीं होगा कि यह पूरा का पूरा मार्ग ही ब्लैक स्पॉट हैं ! मार्ग के एक ओर टौंस नदी की तरफ हज़ारों मीटर गहरी खाइयां हैं ! इन खाइयों में अगर एक बार वाहन समा जाए तो किसी का बचना तो दूर की बात शवों को निकालना भी किसी आफत से कम नहीं होता ! ऐसा बीते समय में कई बार सामने आ चूका है ! दो साल पूर्व हुए एक निजी बस हादसे में मारे गए 45 लोगों के शवों को निकलने के लिए एनडीआरएफ टीम सहित प्रशासन व स्थानीय लोगों के पसीने निकल गए थे व करीब आठ घंटे का समय लग गया था ! टौंस नदी के किनारे जहां यह बस गिरी थी,वहां तक पंहुचने में ही राहत एवं बचाव दल को एक घंटे से अधिक का समय लग रहा था !
इस मार्ग पर फेडिजपुल से मीनस पुल तक 18 किलोमीटर क्षेत्र में बीते सालों में दर्जनों हादसे हो चुके हैं जिसमे सैंकड़ों लोग जान से हाथ धो चुके हैं व कई लोग अपाहिजों की जिंदगी बिताने को मजबूर हैं ! इतने हादसे होने के बावजूद सरकार व विभाग गहरी नींद सोये हुए है, सरकार के लिए मानो इंसानी जिंदगियों की कोई भी कीमत नहीं रह गई है ! इस मार्ग पर फेडिजपुल से मीनसपुल तक एकाध जगह को छोड़ कहीं भी कोई क्रैश बैरियर नही है ! फेडिजपुल से मीनसपुल तक अठारह किलोमीटर इस मार्ग पर हुई विभिन्न दुर्घटनाओं में पिछले सात आठ सालों में सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है ! इनमे 19 अप्रैल,2016 को गुम्मा में हुए विकासनगर निजी बस हादसे में एक परिवार के सभी छः सदस्यों सहित 45 लोगों की जान जा चुकी है,जबकि इसके दो माह बाद 29 जून को हुए बोलेरो जीप हादसे में सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के एक ही परिवार के सात, बीते सालों में हुए धार चांदना बस हादसे में 28 उत्तराखंड की ही एक अन्य निजी बस हादसे में आठ,दो ट्रक हादसों में दो, रोहड़ू की एक निजी कार हादसे में तीन,आइशर हादसे में एक,बोलेरो कैंपर हादसे में तीन,एक अन्य कार हादसे में चार एवं कई अन्य छोटे बड़े हादसों में सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है व सैंकड़ों लोग अपाहिज हो चुके हैं ! इस के बावजूद सरकार गहरी नींद सोइ हुई है व इस सड़क पर सुरक्षा के लिए कोई भी पुख्ता इंतज़ाम नहीं किये गए हैं ! बीते सालों में इस सड़क पर एक नई बात यह ज़रूर हुई है कि इस सड़क के किनारों पर हसदों में मारे गए लोगों की याद में अनगिनत छोटे छोटे मंदिर व झंडियाँ लग गई है ! बहरहाल,सरकारी व विभागीय उपेक्षा के चलते इस मार्ग पर लोग आज भी जान जोखिम में डाल कर सफर करने को मज़बूर हैं !