Friday, April 26, 2024
Follow us on
ब्रेकिंग न्यूज़
देवता कोट भझारी के सानिध्य् में ग्रामीण मेले की धूमएसडीएम की अध्यक्षता में लोकसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर बैठक आयोजितआयुर्वेद के महत्व बारे जानकारी दी गईस्वीप के जरिए मतदान प्रतिशतता बढ़ाने पर जोरशिमला शहरी व ग्रामीण विस क्षेत्र के मतदान कर्मियों के लिए पूर्वाभ्यास आयोजितरतन चंद निर्झर 43 पोलिंग स्टेशन में पैदल यात्रा कर लोगों को शत प्रतिशत मतदान के लिए करेंगे जागरूक, मुख्य सचिव प्रमोद सक्सेना हरी झंडी  दिखा कर करेंगे रवाना युवा मोर्चा पार्टी की रीढ़ की हड्डी: नरेंद्र अत्रीकन्या  विद्यालय में  सोमवार  से  शुरू  होगा  दस दिवसीय  संस्कृत  संभाषण शिविर
-
कहानी

सेठ का पत्र; पीयूष गोयल

-
ब्यूरो हिमालयन अपडेट 7018631199 | October 26, 2022 05:21 PM

एक क़स्बे में एक धनाढ्य सेठ रहते थे जिनका अपनी पंसारी की दुकान थी. सेठ जी की उम्र क़रीब ३५ साल की थी.एक दिन दोपहरी में एक गरीब महिला अपने १० साल के बेटे के साथ सेठ जी की दुकान पर सेठ जी से कहने लगी मेरे पास खाने को कुछ भी नहीं हैं. हमें कुछ पैसे दे दो जिस से हम अपना पेट भर सके, सेठ जी महिला से बोले देखो तुम हमारे यहाँ रह सकती हो, तुम्हारे बेटे का क्या नाम हैं . गरीब महिला बोली मेरे बेटे का नाम कौशल हैं पैसे न होने के कारण सिर्फ़ पाँचवी कक्षा तक ही पढ़ पाया. सेठ गरीब महिला से बोला कौशल मेरे काम में हाथ बटा सकता हैं और तुम मेरी पत्नी के साथ जो घर पर अकेली ही रहती हैं.अगर मंज़ूर हैं तो बताओ महिला बोली हाँ सेठ जी मंज़ूर हैं, हमें तो शरण चाहिए. सेठ जी अपने घर ले गये, सेठ के आलीशान मकान को देख कर दंग रह गई, सेठ ने महिला को एक अलग कोने में रहने का इंतज़ाम कर दिया.समय गुजरता रहा, सेठ जी के काम में भी तरक़्क़ी होनी शुरू हो गई… पंसारी की दुकान होने के नाते सेठ ने मसालों की पैकिंग करनी शुरू कर दीं.और एक बहुत बड़ी ख़ुशी सेठ जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति भी हुई.ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा, दिन दुगनी रात चौगुनी तरक़्क़ी होनी शुरू हो गई. समय गुजरता रहा सेठ ने अपने बेटे का नाम कुशल रखा. एक दिन सेठ जी ने कौशल को बुलाया और एक पत्र देकर कहा ये पत्र जब खोलना तब मैं इस दुनिया से चला जाऊँ. अचानक एक दिन कौशल की माँ का स्वर्गवास हो गया. अब तो सिर्फ़ उस मकान में सेठ जी, कौशल, कुशल व सेठ की पत्नी ही रह गए. एक दिन अचानक सेठ जी का भी स्वर्गवास हो गया ऐसा लगा जैसे सब कुछ रुक सा गया, लेकिन होनी को कौन टाल सकता हैं ,कौशल ने बड़ी हिम्मत करके वो पत्र पढ़ा जो सेठ जी ने उसे दिया था … पत्र में क्या लिखा था …..प्रिय कौशल जिस दिन तुम्हारी माँ तुम को मेरी दुकान पर लेकर आई थी मुझे भी घर पर और दुकान पर काम के लिए एक महिला और एक लड़के की ज़रूरत थी भगवान ने मेरी प्रार्थना सुनी,और तुम अपनी माँ के साथ मेरी दुकान पर आए थे और मैंने तुमको अपने घर में रहने के लिए जगह दी, और सच बताऊँ तुम दोनो ने हमारा मन जीत लिया, मैंने कई बार तुम्हारी और तुम्हारी माँ की परीक्षा ली तुम दोनों हमेशा पास हुए और एक बात तुम्हारे आने से घर में ख़ुशी भी आ गई और एक बेटा जिसका नाम कुशल रखा, उसका भी जन्म हुआ, आप के आने से व्यापार में भी तरक़्क़ी हुई और हाँ तुम अपने छोटे भाई कुशल का भी ध्यान रखना, जितना व्यापार तुम को पता हैं उसको अभी इतना ज्ञान न होगा कुशल का ध्यान रखना … पत्र पढ़ते-पढ़ते कौशल रोने लगा … कुशल कौशल की आँखों में आँसू देख कर बोला भैया क्या हुआ … कौशल ने वो पत्र कुशल को दे दिया … कुशल ने कौशल के पैर पकड़े … कौशल ने कुशल को अपने गले से लगा लिया … दोनो अपनी- अपनी ज़िम्मेदारियों को निभा रहे हैं ( किसी की सहायता करना कभी भी बेकार नहीं जाता).

-
-
Have something to say? Post your comment
-
और कहानी खबरें
-
-
Total Visitor : 1,64,70,498
Copyright © 2017, Himalayan Update, All rights reserved. Terms & Conditions Privacy Policy