Friday, March 29, 2024
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गुरुग्राम

अनिल श्रीवास्तव का लघुकथा संग्रह 'मोह के धागे' लोकार्पित

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ब्यूरो हिमालयन अपडेट 7018631199 | January 09, 2023 06:57 PM

सुरुचि परिवार ने किया साहित्यिक आयोजन

गुरुग्राम,

सुरुचि साहित्य कला परिवार के तत्त्वावधान में रविवार, 8 जनवरी 2023 को प्रातः 11:30 बजे सी.सी.ए. स्कूल सेक्टर 4 गुरुग्राम में लोकार्पण एवं चर्चा समारोह का आयोजन किया गया I आमंत्रित वक्ता के रूप में करनाल से पधारे वरिष्ठ लघुकथाकार डा. अशोक भाटिया एवं दिल्ली से डा. बलराम अग्रवाल, सिरसा से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. रूप देवगुण, दिल्ली वि. वि. की प्रोफेसर एवं वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. कुमुद शर्मा, साहित्यकार अशोक जैन एवं संस्था अध्यक्ष डा. धनीराम अग्रवाल ने मंच को सुशोभित किया I अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं हरींद्र यादव द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से विधिवत कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ I कार्यक्रम का सुन्दर सञ्चालन वरिष्ठ साहित्यकार मदन साहनी ने किया I
डा. अग्रवाल ने संस्था व अतिथिगण का संक्षिप्त परिचय देते हुए शाब्दिक स्वागत किया I उन्होंने अनिल श्रीवास्तव को संग्रह के लिए साधुवाद दिया I
अतिथिगण के कर-कमलों द्वारा अनिल श्रीवास्तव की कृति 'मोह के धागे' लघुकथा संग्रह को लोकार्पित किया गया I
सिरसा से पधारे साहित्यकार ज्ञान प्रकाश पीयूष ने संग्रह के विषय में अपने विचार रखते हुए शीर्षक लघुकथा 'मोह के धागे' का सुन्दर पाठ किया I उन्होंने कहा ये आकार में लघु, मगर प्रभाव में विराट,गागर में सागरवत हैं। इनमें मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत भाव-बिम्ब अप्रतिम हैं, जो रिश्तों की गरिमा और चिरन्तन मानवीय मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए सामाजिक विसंगतियों एवं विकृतियों पर व्यंग्यात्मक शैली में तीक्ष्ण कटाक्ष करते हैं।
अनिल श्रीवास्तव ने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी जुगनू की कोशिश को प्रोत्साहित करने के लिए कई सूरज एक साथ एकत्र हो गए हों I उन्होंने बताया कि संग्रह में 55 लघुकथाएं समाहित हैं और प्रत्येक लघुकथा पर आधारित रेखाचित्र संकल्पना के स्तर पर पुत्र आकर्ष ने बनाये, जिसे आधार मानकर इसे मूर्त रूप दिया I उन्होंने कहा यदि एक लघुकथा भी पाठक के मन को स्पर्श करती है तो उनका लिखना सार्थक हो जाता है I
वरिष्ठ साहित्यकार डा. शील कौशिक कृष्णलता यादव , त्रिलोक कौशिक ने विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की I
कृष्णलता यादव ने इसे रिश्तों की गूँज से अनुगुंजित लघुकथाएँ बताया I उन्होंने कहा संग्रह की लघुकथाओं के मूल में संवेदना का पसारा, कथ्य में यथार्थ व आदर्श का सुमेल, व्यंग्य के छींटे, मानवेतर पात्रों की झलक, बाल मन की उपस्थिति, इंसानियत को ज़िंदा रखने की ईमानदार हठ और माता-पिता के वचनों की बरकत है।
डा. शील कौशिक ने संग्रह के कुछ लघुकथाओं के प्रभावशाली अंश उद्धृत किये I उन्होंने कहा क्या और क्यों लिखना है, ये तो लेखक जानते हैं लेकिन कैसे लिखना है उसके लिए और ज्यादा विचार करने की आवश्यकता हैI
प्रो. रुप देवगुण ने अपनी बात रखते हुए कहा कि छोटी-छोटी बातों से बड़े-बड़े उद्देश्य निकालना , संवादों द्वारा तेजी से लघुकथा को आगे बढ़ाना , सरल सजीव भाषा द्वारा सम्प्रेषण की प्रक्रिया को पूरा करना यह सब कुछ इस संग्रह में समाहित हैं I
त्रिलोक कौशिक ने कहा किसी रचना की स्वीकार्यता आलोचक से ज्यादा पाठक की सत्ता पर निर्भर करती है I यह आवश्यक नहीं कि विद्वानों द्वारा स्वीकृत रचना जनमानस के लिए भी उतनी ही खरी उतरे I
डा. अशोक भाटिया ने लघुकथा में संवेदना के आवेग पर बात करते हुए जब 'विदाई' शीर्षक लघुकथा का पाठ किया तो उनकी आँख नम हो गयी I उन्होंने हरिशंकर परसाई की रचना 'व्याभिचार' का वाचन करते हुए मारक व्यंग्य की भी बात की I उन्होंने अनिल को निरंतर लिखते रहने के लिए साधुवाद दिया I
डा. बलराम अग्रवाल ने अपने सारगर्भित सम्बोधन में कहा लघु कलेवर संग्रह की विशेषता है I लेकिन लघुकथा से भी छोटी कहानी और कहानी से भी बड़ी लघुकथा हो सकती है I सिर्फ रचना का आकार मायने नहीं रखता I
प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कविता , कहानी या लघुकथा, विधा कोई भी हो, किसी रचना के लिए वैचारिक तत्व का होना आवश्यक है I रचनाएँ तभी आएँगी जब लेखक के पास विचार होगा I
अशोक जैन ने अपनी बात रखते हुए कहा भविष्य में अनिल से इससे बेहतर संग्रह की उम्मीद है I
इस अवसर पर हरींद्र यादव , नरेंद्र गौड़ , डा. अशोक बत्रा, डा. मुक्ता, डा. नलिनी भार्गव, मंजू भारती, घमंडी लाल अग्रवाल , डा. सविता स्याल , दीपशिखा श्रीवास्तव , सरोज गुप्ता , कृष्णा जैमिनी , सविता गुप्ता , नरेंद्र खामोश , शकुन मित्तल , इंद्र देव गुप्ता , राजेंद्र निगम राज , वीणा अग्रवाल , आर. एस. पसरीचा , नरोत्तम शर्मा, मेघना शर्मा , आर. एस. बोकन, शशांक शर्मा , अरुण माहेश्वरी, मनोज शर्मा, रजनेश त्यागी, शारदा मित्तल, परिणीता सिन्हा, आर. पी. सेठी, डा. सुरेश वशिष्ठ, संजीव श्रीवास्तव, अंजलि श्रीवास्तव, प्रिया शर्मा, प्रशांत शर्मा, हिमांशु श्रीवास्तव, प्रिया श्रीवास्तव, मणी कोहली, विपुल कोहली सहित कई साहित्य प्रेमी,कवि साहित्यकार व उपस्थित थे

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