दिल्ली ,
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश करेंगे। लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद संसद में यह उनका पहला विधायी कार्य होगा। भाजपा अध्यक्ष बिल पेश करने के बाद निचले सदन में अपना पहला भाषण भी देंगे, जिसे पहले अध्यादेश के रूप में लागू किया गया था।
बता दें 28 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू होने के लिए) संशोधन आदेश, 2019 के माध्यम से संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू होने के लिए) आदेश, 1954 में संशोधन के संबंध में जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी थी।
इससे राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 की धारा (1) के अंतर्गत जारी संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू होने के लिए) संशोधन आदेश, 2019 द्वारा संविधान (77वां संशोधन) अधिनियम, 1955 तथा संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 से संशोधित भारत के संविधान के प्रासंगिक प्रावधान लागू होंगे।
क्या होगा प्रभाव
यह आदेश सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों को पदोनत्ति में लाभ दिलाएगा और जम्मू-कश्मीर में सरकारी रोजगार में वर्तमान आरक्षण के अतिरिक्त आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत तक आरक्षण का लाभ प्रदान करेगा।
संविधान (77वां संशोधन) अधिनियम 1955 को भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 की धारा 4 के बाद धारा (4ए) जोड़कर लागू किया गया। धारा (4ए) में सेवा में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों को पदोन्नति लाभ देने का प्रावधान है। संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम 2019 देश में जम्मू और कश्मीर को छोड़कर लागू किया गया है और जम्मू-कश्मीर तक अधिनियम के विस्तार से राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण का फायदा मिलेगा।