हमीरपुर ,
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी ग्यारहवें दिन हाई वोल्टेज ड्रामे के बीच मंत्रियों-विधायकों का यात्रा भत्ता बढ़ाने के तीनों विधेयक पारित हो गए। आधे घंटे की चर्चा के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष ने हां में हां मिलाई और इससे संबंधित बिल सदन में पारित हो गए। ड्रामा यहीं ख़त्म नहीं हुआ । प्रदेश सरकार के एक मंत्री बुधवार को हमीरपुर में थे। जब पत्रकारों ने उनसे भत्ते बढ़ाए जाने और जनता के विरोध के संदर्भ में प्रश्न पूछा तो वह भत्ते बढ़ाए जाने से ही मुकर गये। उलटा पत्रकारों से ही तैश में पूछ लिया - किसने कब बढ़ाए भत्ते ।
अभी मंत्री महोदय , मुकर कर आगे ही बढ़े थे तो ठीक उसी समय घुमारवीं से भाजपा विधायक राजेंद्र। गर्ग का रिकोर्डिड ब्यान आ गया । राजेंद्र गर्ग का कहना है कि वह पहले ही यात्रा भत्ता नहीं लेते तथा अब बढ़े हुए भत्ते भी नहीं लेंगे।
ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार के मंत्री व विधायक एक ही समय में विरोधाभास क्यों पैदा कर रहे है
विधानसभा में पास बिलों के साथ मंत्रियों-विधायकों के निशुल्क यात्रा भत्ते में 60 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई। यात्रा भत्ते के बिल पारण की कार्यवाही के दौरान इन विधेयकों का समर्थन करती कांग्रेस तो भाजपा से भी एक कदम आगे निकल गई। अकेले माकपा विधायक राकेश सिंघा ही इन बिलों के पारण का विरोध करते रहे।
सीएम जयराम ठाकुर ने विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष, मंत्रियों और विधायकों का यात्रा भत्ता बढ़ाने से संबंधित विधेयकों को पारित करने का प्रस्ताव किया। चर्चा में भाग लेते हुए नादौन के कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू, नयना देवी के कांग्रेस विधायक रामलाल ठाकुर और शिलाई के कांग्रेस विधायक हर्षवर्द्धन चौहान ने इस विधेयक का समर्थन किया।
हालांकि माकपा विधायक राकेश सिंघा भत्ता बढ़ाने का विरोध करते रहे और दोहराते रहे कि इससे जनता में सही संदेश नहीं जाएगा। प्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन कांग्रेस विधायकों के समर्थन के बाद सदन में हिमाचल प्रदेश विधानसभा (सदस्यों के भत्ते और पेंशन) संशोधन विधेयक 2019, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष वेतन (संशोधन) विधेयक 2019 और मंत्रियों के वेतन और भत्ता (हिमाचल प्रदेश) संशोधन विधेयक 2019 पारित हो गए।
अब आर्थिक तंगहाली और क़र्ज़ का ढिंढोरा पीटने वाली प्रदेश सरकार जनता के बीच जाकर बढ़े हुए भत्ते को जायज़ किस मुँह से ठहराएगी - यह दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। मंत्री व विधायक के बयानों में अंतर से सरकार की फ़ज़ीहत हो रही है।
इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी सरकार को नसीहत दे चुके हैं कि वेतन व भत्ते कैसे बढ़ाए जाते हैं। भत्तों को बढ़ाने के लिए आर्थिक मंदी व तंगहाली जायज़ वक़्त नहीं है। विधायकों के भत्तों के लिए विरोध में लोग भीख माँगने व जूते पोलिश करने से भी गुरेज़ नहीं कर रहे हैं। आर्थिक मंदी के बोझ तले दबी जनता के विरोध के बाद सरकार के मंत्री व विधायक जनता के बीच जाने से बच रहे हैं और मीडिया के सवालों का जवाब तोड़ मरोड़ कर दे रहे हैं।