हमीरपुर ,
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर एवं पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के गृह जिला हमीरपुर में पाँचों मंडलों की सूबेदारी संभालने के लिए मंडल अध्यक्षों की तलाश तेज़ हो गयी है।अभी तक के समीकरणों से धुँधली सी तस्वीर उभर कर सामने आ चुकी है। बड़सर मंडल से निवर्तमान मंडल अध्यक्ष कुलदीप ठाकुर तथा सुजानपुर मंडल के निवर्तमान मण्डल अध्यक्ष कैप्टन रणजीत सिंह के फिर से रिपीट होने के आसार लग रहे हैं। हमीरपुर मंडल से बलदेव धीमान लगातार दो टर्म से मंडल अध्यक्ष होने के कारण पार्टी संविधान के तहत तीसरी बार अध्यक्ष नहीं बन सकते। अतः हमीरपुर में नए मंडल अध्यक्ष का चेहरा निश्चित है। नादौन व भोरंज मंडल में भाजपा का नया अध्यक्ष कौन होगा , इस बारे खमौशी बनी हुईं है। बड़सर के चुनाव प्रभारी बलवीर बग्गा का कहना है कि सोशल मीडिया पर बड़सर मंडल के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर जो कुछ लिखा जा रहा है उसमें सच्चाई नहीं है। अभी चुनाव प्रक्रिया चली हुई है और किसी के नाम की घोषणा नहीं हुई है।
आपको बता दें कि भाजपा में इन दिनों संगठन चुनाव की सियासत गरम हो गई है। मंडल अध्यक्ष बनने को तमाम नाम सामने आ रहे हैं। भाजपा सर्व सम्मति से मंडल अध्यक्ष चुनने की कोशिश में जुटी है। भाजपा चुनाव प्रबंधन की टीम मंडलवार संभावित प्रत्याशियों से बातचीत करके निर्विरोध निर्वाचन के लिए जुटे हैं।
इतना आसान भी नहीं सर्वसम्मति से चुनाव
वर्तमान समीकरणों को देखते हुए हमीरपुर, भोरंज, बड़सर व नादौन में मंडल अध्यक्ष चुनना इतना आसान भी नहीं लग रहा। सुजानपुर को छोड़ जिला के अन्य चार मंडलों में सर्वसम्मति से मंडल अध्यक्ष का चुनाव आसान नहीं है। बड़सर में पूर्व विधायक बलदेव शर्मा के कट्टर समर्थक कुलदीप ठाकुर का नाम मंडल अध्यक्ष की सूची सबसे आगे है लेकिन सत्ता में मज़बूत पदों पर कमलनयन शर्मा व राकेश बबली की सहमति के बिना कुलदीप का रिपीट होना आश्चर्यजनक होगा। नादौन में विजय अग्निहोत्री तो हमीरपुर में नरेंद्र ठाकुर की सहमति का ही उम्मीदवार मंडल अध्यक्ष की सीट पर बैठा मिलेगा। भोरंज में पूर्व विधायक अनिल धीमान को हाशिए पर रख भाजपा और रिस्क नहीं लेना चाहेगी। सुजानपुर में पूर्व सीएम धूमल के पसंद के कैप्टन रणजीत सिंह का रिपीट होना लगभग तय लग रहा है।
दिवाली से पूर्व होगा मंडल अध्यक्षों का चुनाव
हमीरपुर के सभी पाँचों मंडलों में चुनाव प्रक्रिया दिवाली से पूर्व पूरी की जाएगी। इससे पहले उन मंडलों में जहां यह माना जा रहा है कि ज्यादा प्रत्याशी हैं और वहां ज्यादा मान मनव्वल हो सकती है वहां पहले से नाम की छंटनी की जा सकती है। यह भी संभव है कि चुनाव में नाम फाइनल करके चुनाव अधिकारी भेज दें उन्हीं नाम को स्वीकार करना पड़े।